रायपुर। अपने दिल में बड़े अरमान पाले हुए थे, लेकिन समय ने ऐसे पलटी बाजी कि अब दूसरे किनारों की तलाश में निकल पड़े हैं, ऐसा ही कुछ हाल नगरीय निकाय चुनाव (municipal elections)में किस्मत आजमाने की सोच रखने वाले नेताओं का है। क्योंकि लॉटरी से बदली आरक्षण की व्यवस्था से अब 70 वार्डों के 140 यानी बीजेपी-कांग्रेस के पार्षद पद के दावेदारों (Now 140 candidates from 70 wards i.e. BJP-Congress councilor posts)का पूरा खेल बिगड़ गया है। आरक्षण के चलते अब दावेदार अब दूसरे वार्डों में सियासी ठौर-ठिकाना खोजने में जुट गए हैं। उनकी दो से तीन साल की मेहनत अब उन वार्डों में रंग नहीं ला पाएगी, जहां से वे पार्षदी का चुनाव लडऩे की सोच रहे थे। ऐसे में अब वे दूसरे वार्ड में खुद की सियासी जमीन तलाशने में जुट गए हैं। अब नए संभावित वार्ड में वे खुद की पकड़ के साथ ही अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में टोह लेने में लगे हैं। वैसे भी अब अधिकांश लोग पार्षदी चुनाव नहीं लडऩे का मन बना चुके हैं। कुछ दावेदार आरक्षण की व्यवस्था से वार्ड बदलने की संभावना को देखते हुए एक नहीं दो से तीन वार्ड में सक्रिय थे। इनके तो लडऩे की संभावना है, पर जो सिर्फ एक ही वार्ड तक सिमटकर तैयारी करने में जुटे थे, उनके सामने अब एक ही रास्ता बचता है कि वे इस बार पार्षदी चुनाव लडऩे के निर्णय को ठंडे बस्ते में डाल दें और पार्टी के निर्णय के मुताबिक संगठन द्वारा समर्थित उम्मीदवार को ही जिताने में जुट जाएं।
फिलहाल, अब वार्ड के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब वर्तमान पार्षदों और संभावित चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों के सामने बड़ी चुनौती होगी। वर्तमान पार्षद भले ही आरक्षण के चलते इस बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, लेकिन उनकी जगह आने वाले पार्टी कैडर के उम्मीदवारों से जनता जवाब मांगेगी, पांच साल के कार्याकाल का हिसाब मांगेगी। पूछेगी, कि पार्टी कैडर के पार्षद ने क्यों नहीं अभी तक मूलभूत सुविधाओं को सुधार पाए। ऐसे न जाने कितने सवालों से चुनाव लडऩे वाले दावेदारों को जूझना पड़ेगा। हो सकता है जहां जो वार्ड महिला आरक्षण के दायरे में है, वहां वर्तमान पार्षद की पत्नी या परिवारीजन चुनाव लड़ सकते हैं। फिलहाल, अब पूरा समीकरण बदल चुका है।
राजधानी रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में आरक्षण प्रक्रिया गुरुवार को पूरी हो गई है। रायपुर नगरीय निकाय में 70 वार्ड आते हैं। इननें से 23 ओबीसी, 9 एससी और 3 वार्ड को एसटी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। मौजूदा मेयर एजाज ढेबर का वार्ड सामान्य महिला के लिए आरक्षित किया गया है। 23 ओबीसी वार्डों में से 8 महिलाओं के लिए, वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों में तीन वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई सीनियर नेताओं के चुनाव लडऩे के सपने को झटका लगा है।
मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड, कालीमात वार्ड, लाल बहादुर शास्त्री, मोरेश्वर राव वार्ड, ठाकुर प्यारेलाल वार्ड, बंजारी माता वार्ड, भक्तमाता कर्मा वार्ड, शहीद पंकज विक्रम, शहीद भगत सिंह वार्ड, सरदार बल्लभ भाई पटेल और पंडित सुंदर लाल शर्मा वार्ड सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित है।
संत रविदास वार्ड, राजेन्द्र प्रसाद वार्ड, विपिन बिहारी सूर वार्ड, महर्षि वाल्मीकि वार्ड (महिला), डॉ खूबचन्द बघेल वार्ड (महिला), पंडित दीनदयाल उपाध्याय वार्ड, वीर शिवाजी वार्ड, ब्राह्मण पारा वार्ड, शहीद चुनामणी वार्ड, चंद्रशेखर वार्ड, कन्हैया लाल बाजारी वार्ड, ठक्कर बापा वार्ड (महिला), रमण मंदिर वार्ड, मदर टैरेसा वार्ड, कामरेड सुधीर मुखर्जी वार्ड (महिला), महात्मा गांधी वार्ड (महिला), महामाया मंदिर वार्ड (महिला), नेताजी सुभाष चन्द्रबोस वार्ड (महिला), माधव राव स्प्रे वार्ड, संत रामदास वार्ड, इंदिरा गांधी वार्ड, बाल गंगाधर तिलक वार्ड, और तात्यापारा वार्ड (महिला) वर्ग के लिए आरक्षित है।
पंडित ईश्वरी चरण शुक्ल वार्ड, गुरु घासीदास वार्ड और रविंद्रनाथ टैगोर वार्ड को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया है।
संत कबीर दास वार्ड (महिला), दानवीर भामाशाह वार्ड, सिविल लाइन वार्ड, शहीद मनमोहन सिंह बक्शी वार्ड, बाबू जगजीवन राम वार्ड, विद्याचरण शुक्ल वार्ड, गुरु गोविंद सिंह वार्ड, वीरागंना अवंति बाई वार्ड और जवाहर लाल नेहरू वार्ड। जिन वार्डों के नाम इस लिस्ट में नहीं है। उन वार्डों को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है।
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