नारायण चंदेल का भूपेश सरकार पर तंज! स्वास्थ्य व्यवस्था पर खुद की पीठ थपथपा रहे

By : madhukar dubey, Last Updated : June 18, 2023 | 12:04 pm

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल (Leader of Opposition Narayan Chandel) ने प्रदेश की बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भूपेश सरकार (Bhupesh Sarkar) पर जमकर हमला बोला है। डॉक्टर्स, दवाओं, स्वास्थ्य उपकरणों समेत दीगर स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से प्रदेश के अस्पताल जूझ रहे हैं और अब प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल चुकी प्रदेश सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों को तीन माह से वेतन तक नहीं दे पा रही है। चंदेल ने कहा कि ऐसी दशा में भी स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावे करना अजीब है।

प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने कहा कि प्रदेश सरकार झूठे दावे और फर्जी आंकड़े पेश करके अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनने में लगी हुई है जबकि जमीनी हकीकत यह है कि उसके पास न तो हर स्वास्थ्य केन्द्र के लिए पर्याप्त डॉक्टर्स हैं, न स्वास्थ्य उपकरण हैं, न दवाएँ हैं और न ही स्टाफ नर्सों को वेतन देने के लिए पैसे हैं। अकेले रायपुर जिले में तीन महीने पहले ही 300 स्टाफ नर्सों की भर्ती की गई थी, लेकिन अब तक उन्हें इन तीन महीनों के वेतन का एक रूपया भी इस प्रदेश सरकार ने नहीं दिया है। चंदेल ने सवाल किया कि लाखों करोड़ रुपए का कर्ज लेकर भी अगर सरकार अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं पा रही है तो आखिर कर्ज ली गई राशि जा कहां रही है? क्या यह राशि भी प्रदेश के ‘सीएम’ (कलेक्शन मास्टर) दिल्ली के 10,जनपथ की तिजोरी में भर रहे हैं?

प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने प्रदेश में चल रही मोबाइल मेडिकल यूनिट को भी घोटालों की एक नई शाखा बताया है। श्री चंदेल ने कहा कि इस योजना में शहरी युनिट में प्रति वाहन 7 लाख रुपए तक खर्च बताया जा रहा है, जबकि इसी योजना की ग्रामीण युनिट में यही खर्च 1.8 लाख रुपए तक बताया जा रहा है। वाहनों व उपकरणों के मामूली अंतर के अलावा बाकी सभी सुविधाएं एक जैसी होने के बाद भी खर्च की राशि में इतना भारी अंतर बड़ी गड़बड़ियों का संकेत कर रही है। श्री चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत मरीजों को कालातीत (एक्सपायरी) दवाएँ देने के मामले में दोषियों पर अब तक कार्रवाई नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है।

प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने कहा कि जिस प्रदेश में स्वयं मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र तक में पर्याप्त डॉक्टर्स नहीं हों, जिस प्रदेश में राजधानी स्थित प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में कैंसर की जांच के लिए 18 करोड़ रुपए में खरीदी गई पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) मशीन लगभग 6 वर्षों से धूल खा रही हो और कैंसर मरीजों को 25 हजार रुपए तक खर्च करके निजी अस्पतालों में जाँच करानी पड़ रही हो, जिस प्रदेश मे आदिवासी बहुल जिला जशपुरनगर के जिले के 7 प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों में एक भी डॉक्टर पदस्थ नहीं हों और सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्थित ये सारे स्वास्थ्य केन्द्र नर्सों के भरोसे चल रहे हों, जिस प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कैशलेस इलाज शुरू करने के दावे की धज्जियाँ उड़ाते राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ग्लूकोज की सलाइन तक मरीजों या उनके परिजनों को बाजार से खुद खरीदकर लाने को कहा जाता हो, समुचित इलाज के अभाव में छत्तीसगढ़ के 25 हजार बच्चों की मौत तक हो जाती हो, उस प्रदेश की सरकार को झूठी शेखियाँ बघारने के बजाय अपने तमाम दावों के खोखलेपन पर शर्म महसूस होनी चाहिए।

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इनपुट (भोजेंद्र वर्मा)