न दैन्यं न पलायनं, , पढ़ें, एक राजनीतिक ‘समीक्षात्मक’ रिपोर्ट!
By : prafullpare, Last Updated : March 30, 2023 | 5:54 pm
कौरव, पांडव और महाभारत की चर्चा राहुल गांधी ने खुद शुरू की थी इसलिए उन्हें पता होना चाहिए कि पांडवों ने श्रीकृष्ण को अपना सलाहकार बनाया था। जिन्होंने हर छोटे और बड़े अवसर पर पांडवों को धर्मयुद्ध को ज्ञान दिया लेकिन आपके सारथी तो मद्रराज शल्य की भूमिका में हैं, पांडव पुत्र नकुल और सहदेव की मां माद्री के भाई थे मद्रराज शल्य जो महाभारत में अंगराज कर्ण के सारथी थे और पूरे युद्ध के दौरान उन्होंने कर्ण का हौंसला पस्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
सोचिए कि मानहानि के मामले में दोषी पाए जाने के बाद अदालत ने राहुल जी को दो साल की सजा सुनाई और अपील करने के लिए एक माह का समय दिया, करीब एक हफ्ता बीत चुका है लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि उनकी पार्टी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएगी या अपने अर्जुन को कारावास के लिए छोड़ देगी। यह युद्ध अपने अर्जुन की सजा पर रोक लगवाकर लड़ना है? या उन्हें कारावास में रखकर ?? फिलहाल तो कुछ साफ़ नहीं है लेकिन यह तय मानिए कि कांग्रेस इस सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएगी, राहुल गाँधी की लोकसभा में वापसी भी होगी और कांग्रेस का गांडीव भी वही उठाएंगे। क्योंकि सजा वाले विकल्प को आजमाने का जोखिम कांग्रेस नहीं उठा सकती.. बहरहाल, राजनीती में हर राजनीतिक दल संक्रमण के दौर से गुजरता है कांग्रेस भी गुजर रही है लेकिन सवाल इसलिए उठ रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस इस संक्रमण से निकलती हुई नहीं दिख रही है और उनके नेता राहुल जी बात महाभारत और कौरव.. पांडव की करते हैं तो उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि युद्ध के पहले कौरव.. पांडव ने अपने अपने पक्ष की सेना तैयार कर ली थी। परन्तु आपका गठबंधन अभी कहाँ है.. आपके अश्वमेघ के घोड़े को दूसरे दल हार पहनाने की बजाय पूंछ उमेठ कर खदेड़ दे रहे हैं।
पहले आपके सारथियों ने आपको सावरकर के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने की सलाह दी,आप उस पर चले भी और कहा कि आप सावरकर की तरह माफ़ी नहीं मांगेंगे लेकिन आपके सहयोगी उद्धव ठाकरे के एतराज ने आपको सावरकर मसले पर समझौता करने के लिए विवश कर दिया आपने सारे सावरकर विरोधी ट्वीट हटा दिए और लोकसभा के एक बंद कमरे में सोनिया गाँधी की मौजूदगी में आपने शिवसेना उद्धव गट के नेता संजय राउत को भरोसा भी दिया है कि सावरकर पर सम्हलकर बोलेंगे। इसके बाद भी आप पांडव हो… ऊपर से तुर्रा ” न दैन्यं न पलायनम..”
कोई तो लगा रहा है वाट
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के सबसे नौजवान नेता राहुल गांधी को स्थापित होने से कोई तो है जो रोक रहा है और ये प्रतिरोधक बाहर से नहीं भीतर से ही कोई है. पुरे सोशल मिडिया में और हर जगह राहुल गाँधी पर कभी मजाक बनाया जाता है तो कभी उन पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप भी लगते हैं। हाल ही में गुजरात की एक अदालत ने मानहानि के मामले में उन्हें सजा सुना दी और उनकी सांसदी चली गई।
आनन फानन में घर खाली करने का नोटिस भी आ गया। कांग्रेस भाजपा को इसके लिए दोष दे रही है। अब भाजपा क्यों चाहेगी कि राहुल गाँधी को किसी भी प्रकार की सहानुभूति मिले। एक बात और राहुल गांधी संसद में नहीं रहते हैं। सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में नहीं जाते हैं तो उन्हें जेल हो जाएगी, ऐसे में कांग्रेस किसी को तो आगे लाएगी जो जनता के बीच जाकर राहुल गांधी पर हुए जुल्म के खिलाफ सहानुभूति बटोरेगा और वो निश्चित रूप से गांधी परिवार का सदस्य होगा। विचार करके देखिये कि विपक्ष की अधिकांश पार्टियों ने राहुल को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मानने से इंकार कर दिया है।
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी कह रहे हैं कि पहले चुनाव लड़ लो पीएम पर बाद में सोच लेंगे। मतलब राहुल गाँधी को इस रेस से बाहर करने का प्लान भीतर से बन रहा है। एक समय में कांग्रेस में उनके वफादार और मित्र रहे साथी एक एक करके ठिकाने लगा दिए गए। जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट,जतिन प्रसाद। ज्योतिरादित्य को निपटाने के लिए उन्हें बीच चुनाव में आधे उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया।
जिसके चलते सिंधिया अपने ही गढ़ में हार गए। इसके बाद क्या हुआ सबको पता है। फिर सचिन पायलट फिर जतिन प्रसाद सब के सब किनारे क्यों लगा दिए गए.. अब कोई खुलकर तो यह नहीं कह सकता कि राहुल जी कांग्रेस आपके चलते पचास से ज्यादा चुनाव हार चुकी है। अब बख्शो,,दरअसल, राहुल गाँधी से भाजपा को फायदा मिलता है इसलिए भाजपा राहुल को राजनीती में न मरने देगी न मोटाने देगी।
यह बात गांधी परिवार में किसी को तो समझ में आ रही है और वही राहुल गांधी की राजनीति को ख़त्म करने की चाल सावधानी से चल रहा है जिससे राहुल खुद अनभिज्ञ हैं.. सूरत कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस का रवैया भाजपा के लिए और अन्य विपक्षी दलों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। अगर कांग्रेस ने ऊपरी अदालत में अपील नहीं की तो वह चेहरा इसी महीने सामने आ जायेगा।
प्रवर्तन निदेशालय का फरमान
चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी की सक्रियता बढ़ गई है उसने कोल मामले पर बड़ी कार्रवाई के बाद एक बार फिर भूपेश बघेल के सहयोगियों पर कार्रवाई की है। ईडी ने राज्य की भूपेश सरकार से कहा है कि वह जेल में बंद अपनी डिप्टी सेकेट्री सौम्या चौरसिया और आई ए एस अधिकारी समीर विश्नोई के खिलाफ भ्रटाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई करे। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने पत्र में कोयला घोटाले में इन अधिकारियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है।
अब ईडी प्रदेश में शराब लॉबी पर भी शिकंजा कसती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय की करवाई से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खासे नाराज हैं उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जी राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां प्रवर्तन निदेशालय का कार्यालय ही नहीं है.विगत दो महीने में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भूपेश बघेल की लगातार दो बार हुई मुलाकात को बहुत सकारात्मक नजरिये से देखा जा रहा था लेकिन फिर प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई ने केंद्र और राज्य के संबंधों को जटिल बना दिया है. अब कांग्रेस के नेता और कार्यकर्त्ता प्रवर्तन निदेशालय का खुलकर विरोध करने लगे हैं।