एक बार फिर छत्तीसगढ़ से धधकेगी MSP गारंटी कानून के लिए आंदोलन की आग, पढ़ें, पूरा प्लान

छत्तीसगढ़। एक बार फिर छत्तीसगढ़ के किसान एमएसपी गारंटी कानून की मांग तेज करेंगे। इसके लिए यहीं से पूरे देश में दूसरे चरण के आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

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  • Updated On - December 12, 2022 / 05:00 PM IST

14 दिसंबर को आएंगे देशभर के बड़े किसान नेता, करेंगे मंत्रणा

छत्तीसगढ़। एक बार फिर छत्तीसगढ़ के किसान एमएसपी गारंटी कानून की मांग तेज करेंगे। इसके लिए यहीं से पूरे देश में दूसरे चरण के आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। इसके लिए यहां संयुक्त किसान मोर्चा की सामान्य सभा का आयोजन किया जाएगा। इसके मद्देनजर 14 दिसंबर को आयोजित सामान्य सभा में देश के अन्य राज्यों से भी बड़े किसान नेताओं के आने की संभावना है।

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने बताया, संगठनों ने आपसी चर्चा के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के पूर्व संयोजक वी. एम. सिंह की अध्यक्षता में एमएसपी गारण्टी मोर्चा का गठन हुआ है। इसके तहत देश भर में किसान संगठनों और किसानों के बीच संगोष्ठी व सम्मेलनों के माध्यम से सभी फसलों और सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारण्टी मिल सके इस विषय पर व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। बता दें, कि छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ भी संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली से जुड़ा है। सामान्य सभा 14 दिसंबर को टिकरापारा स्थित साहू समाज भवन आयोजित की जाएगी।

आएंगे ये बड़े किसान नेता, लेंगे भाग और बनाएंगे रणनीति

इसमें मुख्य वक्ता एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वी. एम. सिंह होंगे। महाराष्ट्र के संयोजक राजू शेट्टी और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजाराम त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में किसान, मजदूर और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि इसमें भाग लेने वाले हैं।

सभी फसलों पर न्यूनतम मूल्य निर्धारित किए जाने की मांग

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के तेजराम विद्रोही का कहना है, कोई भी कंपनी जब अपना मॉल तैयार करती है तो वह बाजार में बेचने के लिए उसका एक अधिकतम खुदरा मूल्य निर्धारित करती है। उसमें उपभोक्ताओं पर लगने वाला टैक्स भी शामिल रहता है। उसी मूल्य पर वस्तु को बेचकर कंपनी अपना मुनाफा कमाती है। लेकिन किसानों को अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है, वह मूल्य भी किसानों को नहीं मिलता। इसलिए किसान घाटा उठाता है, कर्ज में डूबता है। ऐसे में सभी फसलों और सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी मिलना ही खेती-किसानी बचने की गारंटी है।