‘पुरानी पेंशन योजना’ में फंसे ‘डेढ़ लाख’ कर्मचारी नाराज!, जानें, सियासी मायने
By : madhukar dubey, Last Updated : January 5, 2023 | 12:24 pm
ऐसे में सरकार के पेंशन निर्णय से डेढ़ लाख शिक्षकों में नाराजगी
बता दें, राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को राहत देते हुए १ अप्रैल २०२२ से पुरानी पेंशन योजना को बहाल की है। लेकिन अब इस योजना में एक नया पेंच आ गया है। दरअसल, १० साल की अवधि पूरा करने वाले कर्मचारियों को पात्र माना जाएगा। ऐसे में सरकार के पेंशन निर्णय से डेढ़ लाख शिक्षकों में नाराजगी है। कर्मचारियों का दावा है कि पूर्ण पेंशन के बदले आंशिक पेंशन मिलना भी अब दूभर होगा। इस संबंध में छग टीचर्स एसोसिएशेन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा एवं जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी ने ३० दिसंबर के राज्य कैबिनेट के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम सेवानिवृत्ति पर राज्यांश राशि जमा करेंगे, परन्तु इसके पहले शासन यह निर्णय करे कि पेंशन के लिए एलबी संवर्ग के शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति से सेवा की गणना की जाएगी।
कैबिनेट निर्णय में उल्लेख है कि एनपीएस खाते में जमा कर्मचारी अंशदान और उस पर अर्जित लाभांश शासकीय कर्मचारी को एनपीएस नियमों के तहत देय होगा। इस संबंध में शासन को स्पष्ट करना चाहिए कि एनपीएस कटौती बंद होने के बाद भी प्रान खाता एक्टिव रहेगा व एनपीएस में जमा राशि एनपीएस पेंशन नियमों के तहत देय होगा। सरकार ने यह शर्त रखी है कि कर्मचारियों को राज्य शासन के अंशदान और उस पर अर्जित लाभांश जमा करने पर ही पुरानी पेंशन की पात्रता होगी।
देयक पर इस वजह से भी फैल रहा भ्रम
चन्द्रवंशी ने कहा कि कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग कर रहे थे क्योंकि इससे रिटायर होने पर अंतिम माह के वेतन के ५० प्रतिशत के बराबर राशि प्रतिमाह पेंशन में मिलती है। स्पष्ट करे कि उन्हें सेवानिवृत्त होने पर मासिक वेतन का ५० प्रतिशत राशि पेंशन में मिलेगी, तभी उनसे एफिडेविट लेने की बात करे।
शपथ-पत्र मांगने का आशय ही कर्मचारियों के देयक पर भ्रम पैदा करता है। सेवानिवृति या निधन की स्थिति में एनपीएस नियम के तहत ६० प्रतिशत राशि प्राप्त होने पर राज्य शासन का अंशदान व उस पर अर्जित लाभांश राशि शासन के खाते में जमा करने से कर्मचारियों की पेंशन शुरू होगी, यह शासन नियम बनाए।
१७ हजार करोड़ रुपए फंसा
पूर्व में प्रदेश के कर्मचारियों को एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) के तहत हर माह राशि जमा कराई जा रही थी। अब पुरानी पेंशन को बंद कर दी गई है। ऐसे में एक अप्रैल २०२२ की स्थिति पूरे प्रदेश में एनपीएस में कर्मचारियों का करीब १७ हजार २४० करोड़ रुपए फंसा हुआ है। सरकार ने पुरानी पेंशन लागू की जिसका शिक्षकों व कर्मचारियों ने स्वागत किया। इसी बीच पीएफआरडीए ने एनपीएस की राशि को वापस नहीं करने का निर्णय लेते हुए कर्मचारियों के अधिकार को रोका, इससे पीएफआरडीए के प्रति कर्मचारियों में नाराजगी है।