रायपुर: राजधानी रायपुर में 1 नवंबर से पुलिस कमिश्नरी प्रणाली (Raipur Police Commissionerate) लागू की जा रही है। इस नई व्यवस्था को शुरू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। एडीजी प्रदीप गुप्ता की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इसकी रिपोर्ट डीजीपी अरुण देव गौतम को सौंप दी है।
नई प्रणाली के तहत पुलिस को कई प्रशासनिक और कार्यकारी मजिस्ट्रेट अधिकार मिल जाएंगे, जो अब तक एसडीएम और एडीएम के पास होते थे। इसके बाद पुलिस को शांति भंग की आशंका में बिना कलेक्टर की अनुमति के हिरासत में लेने, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका जैसी कड़ी धाराएं लगाने की ताकत मिल जाएगी।
इस सिस्टम के लागू होने से रायपुर पुलिस को आपात स्थिति में तुरंत फैसला लेने की क्षमता मिलेगी। होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने, दंगों में बल प्रयोग और जमीन विवाद जैसे मामलों में पुलिस अब खुद निर्णय ले सकेगी।
पुलिस कमिश्नर को कलेक्टर जैसे अधिकार दिए जाएंगे और वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकेंगे। कानून के तहत इन्हें जो अतिरिक्त शक्तियां मिलेंगी, उनसे पुलिस का काम और भी प्रभावी होगा।
कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद एक ADG रैंक के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को रायपुर का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया जाएगा। शहर को कई जोन में बांटा जाएगा, हर जोन में एक DCP (उप पुलिस आयुक्त) की तैनाती होगी। DCP उस क्षेत्र में SSP की तरह जिम्मेदार होंगे।
हर जोन में 2 से 4 थानों के लिए एक ACP (सहायक पुलिस आयुक्त) की तैनाती होगी, जो CO की तरह काम करेगा। इस प्रणाली में 60 से अधिक अफसरों की नियुक्ति की जाएगी और पुराने पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) को कमिश्नर कार्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है।