छत्तीसगढ़। ( health minister) स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव (TS Singhdev) ने आखिर क्यों कह दिया। चुनाव से पहले वे अपना भविष्य तय करेंगे। अब इनके इस बयान को राजनीतिक जानकार तरह-तरह के सियासी मायने निकालने में लगे हैं। वे सरगुजा जिले की आयोजित विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने के लिए गए थे। जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत के दाैरान ये कह दिया चुनाव से पहले मैं अपने भविष्य पर फैसला करूंगा, अभी मैंने कुछ सोचा नहीं है, जैसे ही वे इस पर विचार कर लेंगे कार्यकर्ताओं से इस बात करेंगे।
इनके इस बयान को लेकर कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है। क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में इनके इस बयान को लिए तर्क-वितर्क शुरू हो गया है कि चुनाव के नजदीक आते ही वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। क्योंकि बीते माह में उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक लंबा चौड़ा पत्र लिखकर पंचायत मंत्री के पद से त्यागपत्र भी सौंपा था। उनका पत्र भी सार्वजनिक रूप से वायरल हुआ था। जिसमें उन्होंने लिखा था, 8 लाख गरीबों के आवास बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। जबकि इसके लिए कई बार मुख्यमंत्री और अधिकारियों से कही थी। ऐसे में पूरी निष्ठा के साथ काम नहीं कर पा रहा हूं।
उसी समय यह कायस लगाए जा रहे थे। टीएस बाबा कहीं भविष्य में कांग्रेस से दूरी न बना लें। इसके पीछे वजह भी है कि इन्हीं के पार्टी के विधायक बृहस्पति सिंह ने इन पर खुद के जान को खतरा बताया था। लेकिन उस समय विधानसभा सत्र में बृहस्पति ने माफी मांगी, तब जाकर मामला शांत हुआ था। इधर, बीते दिनों एक फिर बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल लगाया था। कुल मिला जुलाकर कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद टीएस सिंहदेव खुद को कांग्रेस में सहज नहीं पा रहे हैं।
टीएस सिंहदेव अभी इस बयान को कुछ भी साफ नहीं किया है। ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, क्या वे कांग्रेस के साथ रहते हैं। हां, इतना जरूर है कि 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र को तैयार करने में टीएस सिंहदेव ने बड़ी भूमिका निभाई थी। चुनाव के वक्त भूपेश और टीएस सिंहदेव की जोड़ी को जय-वीरू का नाम भी लोगों ने दिया था। इनकी आपसी समझ और राजनीतिक रणनीति का ही नतीजा था, कि 15 साल बाद कांग्रेस बड़ी मशक्कत के सत्ता में आई थी। बरहाल, अब वे पहली वाली बात नहीं रही।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उस वक्त इस्तीफा देते समय कहा था, कहा, जिस तरह की चीजें चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है। सिंहदेव के इस फैसले से सरकार के अंदर चल रही खींचतान सड़क पर आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह इस्तीफा स्वीकार करते हैं अथवा नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन इस्तीफे से सरकार और संगठन में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि इसकी सूचना केंद्रीय नेतृत्व को भी भेज दी गई है।
१७ दिसम्बर २०१८ को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही मंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्रियों टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन कर सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी। किसानों की कर्जमाफी और २५०० रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का ऐतिहासिक फैसला भी इन्हीं तीन लोगों ने मिलकर किया था। बाद में टीएस सिंहदेव के पोर्टफोलियो में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वाणिज्यिक कर और २० सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग को शामिल किया गया।