शराब के ‘प्याले’ में सियासी तूफान!, साव ने छेड़े कांग्रेसी तार

By : madhukar dubey, Last Updated : May 8, 2023 | 6:35 pm

रायपुर। छत्तीसगढ़ में ED ने 2 हजार करोड़ रुपए के शराब घोटले (liquor scam) को उजागर करने का दावा किया है। जिसे लेकर अब कांग्रेस और BJP में सियासी जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावार है। कांग्रेस जहां इस घोटाले को ईडी का झूठा आरोप और राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दे रही है। वहीं बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को चौतरफा घेर लिया है। जनता के बीच और सोशल मीडिया पर बीजेपी ने वार छेड़ रखा है। आज इसी कड़ी में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव (State President Arun Saw) ने प्रेस कांफ्रेस किया। जहां उन्होंने कहा, शराब के दुकानों पर अवैध रूप से बेचा जाता था, उसका पैसा छत्तीसगढ़ के खजाने में न जाकर पॉलिटिकेल मास्टर के खजाने में जाता था। अाज तक वेबरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। ताकि पूरे सेटिंग से पूरा काम कर सके। एक भोले भाले आदमी को मंत्री बनाए ताकि पूरा सिंडिकेट आसानी से अपना काम कर सके। इसलिए ईडी ने कहा है मुझे लगता है। बताया कि पूरे घोटाले में कैसे भूपेश बघेल के करीबियों ने पूरा खेल किया। जिसे बड़ी ही चालाकी से अंजाम दिया गया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल जी के साथ पत्रकार वार्ता में कहा कि ईडी की कार्रवाई में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा शराब घोटाला उजागर हुआ है। यह केजरीवाल के दिल्ली शराब घोटाले से भी बड़ा है। छत्तीसगढ़ की इस सरकार को सत्ता में एक मिनट भी बने रहने का अधिकार नहीं है।भाजपा मांग करती है कि इस शराब घोटाले की फ़ास्ट ट्रैक में सुनवाई हो। इस घोटाले के विरोध में भाजपा महिला मोर्चा कल 9 मई को प्रदेश के सभी जिलों में छत्तीसगढ़ सरकार का पुतला दहन करेगी। 10 मई को महा धरना होगा।

अभी तक शराब घोटाले के अलावा, कोयला घोटाला, चावल घोटाला, सीमेंट घोटाला, रेत घोटाला, तबादला घोटाला करने के अलावा प्रदेश के हर तरह के संसाधनों की लूट मचाकर छत्तीसगढ़ को लूटा जाता रहा है। इस घोटाले में अनवर ढेबर द्वारा एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट का निर्माण किया गया। भ्रष्टाचार का पैसा पार्ट A, पार्ट B एवं पार्ट C के अंतर्गत विभाजित किया गया।

ईडी की प्रेस रिलीज़ में साफ कहा गया है कि ये लोग घोटाले की रकम के अंतिम लाभार्थी नहीं हैं। अपना कमीशन काटकर ये लोग शेष रकम ‘पॉलिटिकल मास्टर’ को भेज देते थे। क्या यह बताने की जरूरत है कि ये ‘पॉलिटिकल मास्टर’ कौन है? सीधी सी बात है कि छत्तीसगढ़ में ‘पॉलिटिकल मास्टर’ ही इस सिंडीकेट का सरगना है। बड़ी संख्या में ऐसी कच्ची और देसी शराब प्रदेश भर की 800 दुकानों में खपाई जाती रही, जिसे वैध तरीक़े से भी बेचा नहीं जा सकता है। इस शराब से शासकीय खजाने को अरबों का चूना तो लगा ही, प्रदेशवासियों की जान भी दांव पर लगाई गई। फ़ैक्ट्री में शराब बना कर उसे सीधे दुकानों को बेचा जा रहा था।

इससे आने वाली यह रक़म सीधे ‘राजनीतिक खज़ाने’ में जमा होती थी। शराब की कीमत 50% से 80% तक बढ़ाने के बावजूद शासन शराब राजस्व में कमी दिखाता रहा और अपनी पीठ भी थपथपाता रहा था। सच्चाई यह थी कि शराब का अधिकांश पैसा सीधे पॉलिटिकल सरगना के पास जा रहा था।

यही कारण है कि ईडी की कारवाई होते ही अचानक शराब राजस्व में 22 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। इस मामले में सबसे दुखद पक्ष यह है कि एक सहज और भोले भाले आदिवासी मंत्री को मोहरा बनाया गया। कवासी लखमा इस विभाग के मंत्री इसीलिए बनाए गए ताकि वे शराब के लिए बनाई गई सिंडीकेट में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकें। इसी तरह ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन अध्यक्ष का पद इसलिए ही खाली रखा गया ताकि लूट की रकम का शेयर और किसी को नहीं देना पड़े।
नकली होलोग्राम लगाकर घटिया शराब अधिक दाम में बेची गई। इससे 1200 करोड़ रूपए की अवैध कमाई की गई। जो सरकार जनता की जान की रक्षा करने के बजाय घटिया शराब पिलाकर उसकी जान जोखिम में डाले, ऐसी सरकार को एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

इनपुट (भोजेंद्र वर्मा)

इसे भी पढ़ें : भूपेश के ‘बजरंगबली के गदा’ पर BJP का ‘लंका दहन’ VIDEO वार