रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के चुनावी रण में पीएम मोदी ब्रांड (PM Modi brand) के आगे विपक्ष बौना दिख रहा है। ये अलग बात है कि विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं। भाजपा के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामों की गारंटी की लहर वैसे पूरे देश में चल रही है। जिसे तोड़ने के लिए इंडी गठबंधन भरपूर कोशिश कर रहा है। लेकिन विपक्षी पार्टियों और खास तौर पर कांग्रेस नेताओं का तरीका राजनीतिक आलोचना के बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी तक ही समित रह गया है। मजबूत चहरे के रूप में रूप में खुद राहुल गांधी भारतीय राजनीति में स्थापित नहीं कर पाए हैं। भाजपा का कहना है कि यही वजह कि कांग्रेस अपने 5 न्याय और 25 गारंटी की जनघोषणा पत्र जारी किया है। इसके बावजूद पीएम मोदी के जादू को ताेड़ पाना कांग्रेस के लिए बेहद कठिन है।
देश की जनता को मालूम है कि सफेदपोश सत्ता के दौरान, जो भ्रष्टाचार किए थे, उनका खुलासा हो रहा है। अब कोई भ्रष्टाचारी जनता के पैसे को लूटने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। पीएम मोदी की गारंटी में ये भी शामिल है कि न खाएंगे न खाने देंगे। सभी भ्रष्टाचारियों के पैसे को जनता के हितों में लगाएंगे। इससे लोगों में विश्वास जगा है कि अब भ्रष्ट सिस्टम पर लगाम लगेगा। जो पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान बदस्तूर जारी रहा है। इसके उदाहरण के रूप में बीजेपी यूपीए सरकार के 10 साल में हुए भ्रष्टाचारों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त भी जनता में गिना रही है। जिसका कहीं न कहीं लोगों में इसका बड़ा असर है। यही वजह भी है कि पीएम मोदी 400 पार सीटों के साथ एक बार फिर माेदी सरकार के आने का दावा कर रहे हैं।
सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस की 5 न्याय की गारंटी मोदी मैजिक को तोड़ पाएगी। जिस पर राजनीति जानकार कहते हैं, जनता यह जान रही है कि जो भी जनघोषणा पत्र में वादे किए गए हैं, उन्हें व्यवहारिक रूप से लागू कर पाना नामुमकिन है। वहीं कांग्रेस के जनघोषणा पत्र के आगे राम के प्रति आस्था भारी पड़ेगी। क्योंकि बीजेपी यह भी प्रचारित करती दिख रही है कि राम मंदिर के लोकार्पण समारोह के न्यौते को कांग्रेस ने ठुकराया था। साथ इंडी गठबंधन ने कश्मीर से 370 धारा खत्म होने का विरोध किया था। जिससे कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति साफ तौर पर देखी जा सकती है। बहुसंख्यक वाद के विरोध की लाइन भी कांग्रेस को बैकफुट लाती दिख रही है। बहरहाल, ये तो 4 जून को ही तय हो पाएगा, कौन कितनी लोकसभा की सीटें जीतेगा।
छत्तीसगढ़ में चुनावी पारा बढ़ने लगा है। राज्य की 11 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। राज्य के गठन के बाद हुए आम चुनाव से लेकर 2014 तक सभी तीनों चुनाव में राज्य की 11 सीटों में से 10 सीटों पर बीजेपी जीतती रही है। पहली बार महासमुंद की सीट राज्य के पहले मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व नेता अजीत जोगी, दूसरी बार कोरबा की सीट यूपीए सरकार में पूर्व मंत्री और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने निकाली। 2014 में अकेले कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू दुर्ग सीट से जीते।
वहीं, 2019 में पहली बार पहले कांग्रेस ने राज्य में अपना प्रदर्शन सुधारते हुए दो सीटें जीतीं। कांग्रेस को कोरबा और बस्तर से जीत का रास्ता मिला। राज्य की छह लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर आजतक बीजेपी कभी नहीं हारी। बीजेपी का अभेद्य गढ़ कही जाने वाली सीटों में रायपुर, कांकेर, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर चांपा और राजनांदगांद की सीट शामिल है।
बस्तर से अपने मौजूदा सांसद दीपक बैज की जगह पार्टी ने कवासी लखमा को उतारा है। बैज फिलहाल पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान संभाल रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से यहां भूपेश बघेल खुद चुनावी मैदान में हैं। वह राजनांदगांव से चुनाव लड़ रहे हैं जो कभी पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह का गढ़ हुआ करता था।
कांग्रेस पार्टी ने रायपुर से विकास उपाध्याय को दिया है, जिनका मुकाबला बीजेपी के बड़े नेता और मौजूदा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से है। महासमुंद से पार्टी ने अपने सीनियर नेता ताम्रध्वज साहू को उतारा है, जबकि रायगढ़ से कांग्रेस ने राज परिवार की मेनका सिंह को टिकट दिया है। बस्तर में कांग्रेस और बीजोपी दोनों ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। अभी तक बस्तर संभाग से लोकसभा में ज्यादातर बीजेपी ही जीतती आई है।
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