सच हुआ अनुमान : ‘अरुण साव- विजय शर्मा’ बन सकते हैं डिप्टी CM! इनके राजनीति सफर की कहानी

By : hashtagu, Last Updated : December 10, 2023 | 7:10 pm

छत्तीसगढ़। मुख्यमंत्री के रूप में विष्णुदेव की ताजपोशी के बाद अब बीजेपी ने अनुमान को सच करते हुए क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाते हुए अरुण साव और विजय शर्मा (Arun Sau and Vijay Sharma) को डिप्टी सीएम (Deputy CM) बनने की चर्चा है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी पार्टी ने पहली बार किसी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम का दांव चला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने 3 दिसंबर के रिजल्ट के बाद 7 दिन मुख्यमंत्री के चयन में लगा दिए। मुख्यमंत्री का नाम हो सकते हैं। वैसे विष्णुदेव के नाम की चर्चा सीएम के रूप में हो रही थी। वहीं दो डिप्टी सीएम के अनुमान भी लगाए जा रहे हैं।

  • रविवार का सुबह से चल रही BJP के पर्यवेक्षकों की बैठक में सीएम के नाम के बाद दो डिप्टी सीएम की घोषणा हुई। इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और बीजेपी प्रवक्ता विजय शर्मा का नाम डिप्टी सीएम के लिए प्रस्तावित हुआ। इससे BJP ने यह साफ कर दिया कि इस बार लोकसभा के चुनाव में किसी भी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही कारण है कि क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाते हुए साहू समाज के साथ ब्राह्मण समाज के ध्रुवीकरण पर दांव चला है।

दो डिप्टी सीएम के चुनाव के वक्त ओबीसी वोट बैंक को भी ध्यान में रखा गया है. अरुण साव ओबीसी समाज से आते हैं. विजय शर्मा कबीरधाम जिले के कर्वधा से बीजेपी विधायक हैं. उन्होंने 39, 592 वोटों के अंतर से मंत्री मोहम्मद अकबर को हराया है. विजय शर्मा छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रदेश महासचिव हैं, बीजेपी युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. 50 वर्षीय विजय शर्मा पहली बार विधायक बने हैं.

अरुण साव और विजय शर्मा के राजनीतिक सफरनामा

अरुण साव (Arun Sao) का जन्म 25 नवंबर 1968 को मुंगेली के लोहड़िया गांव में हुआ था. अरुण जे पिता स्व.. अभयाराम साव मुंगेली मंडल के अध्यक्ष रह चुके थे. इसके अलावा 1977 से लेकर 1980 तक जरहागांव विधानसभा के चुनाव संचालक थे. आइए अरुण साव के बारे आज हम आपको विस्तार से बताएंगे.

कौन हैं अरुण साव? (Who is Arun Sao)

अरुण साव भारतीय जनता पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई के प्रमुख हैं. वह संसद में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में साव ने कांग्रेस उम्मीदवार अटल श्रीवास्तव को 1,41,763 वोटों से हराया था. बीजेपी नेता लोरमी में कांग्रेस उम्मीदवार थानेश्वर साहू के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. 2022 में विष्णु देव साय की जगह लेने के बाद साव छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष बने थे.

एबीवीपी के थे हिस्सा

अरुण साव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत एबीवीपी के साथ की थी. वह अपने छात्र जीवन से ही एबीवीपी में काफी सक्रिय थे. साव 1990 से 1995 तक एबीवीपी की मुंगेली इकाई के अध्यक्ष रहे और बाद में राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य भी बने. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री मुंगेली से हासिल की थी . इसके साथ ही उन्होंने बिलासपुर से लॉ की पढ़ाई की थी. उसके बाद 1996 में वो युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने और फिर तत्कालीन विधायक अमर अग्रवाल के साथ महासचिव रहे.

इस कारण बने प्रदेश अध्यक्ष

अरुण को जब 2019 में लोकसभा के चुनाव में सांसद का टिकट दिया गया था तब ये बात सामने आई थी कि वो संघ की पृष्ठभूमि से हैं. इसलिए उनको भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी बनाया गया .

  • अरुण साव के पिता अभयराम साव जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और संघ के स्वयंसेवक थे. इसलिए इनपर विश्वास जताते हुए संगठन ने सांसद टिकट दिया.

मालूम हो कि अरुण साव का नाम पूर्व में केंद्रीय मंत्री बनने को लेकर भी उनका नाम खूब चर्चा में आया था. और आने वाले विधानसभा चुनाव में उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाना भारतीय जनता पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि अरुण साओ साहू समाज से ताल्लुक रखते हैं और यह जाति छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग में बहुसंख्यक है. इसलिए वह संगठन की पहली पसंद बने होंगे.उनकी संगठन में साफ-सुथरी इमेज है. इसी के चलते इनको प्रदेश अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिली है।

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