रायपुर। केंद्रीय श्रम व रोजगार तथा युवा कार्यक्रम व खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Sports Minister Dr. Mansukh Mandaviya) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल के संसद में प्रस्तुत पहले पूर्ण बजट की चर्चा करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट विकसित भारत की मोदी की सोच को प्रतिबिम्बित करता है। डॉ. मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी कभी टोकन में नहीं, अपितु टोटल में सोचते हैं। केंद्र सरकार के संसद में प्रस्तुत बजट पर राजधानी के बुद्धिजीवियों से संवाद करने पहुँचे डॉ. मांडविया शनिवार को राजधानी में कुशाभाऊ ठाकरे परिसर स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
आम आदमी के जीवन में बदलाव लाने के प्रावधान बजट में
केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने कहा कि आम आदमी के जीवन में बदलाव लाकर कैसे विकसित भारत का लक्ष्य अर्जित किया जा सकता है, यह बजट इस संकल्प का प्रतिबिम्ब है। डॉ. मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने संकल्प व्यक्त किया है कि जब देश अपनी स्वतंत्रता का शताब्दी मना रहा हो तब देश को पूर्ण विकसित बनाना है। पूर्ण विकसित भारत के अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम और योजना पर काम करना प्रधानमंत्री श्री मोदी का विजन है।
डॉ. मांडविया ने कहा कि इस वर्ष शिक्षा, रोजगार और कौशल प्रशिक्षण के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। इस बजट में सभी के लिए भरपूर अवसर का सृजन करने के लिए 9 प्राथमिकताओं के संबंध में सतत प्रयासों की परिकल्पना की गई है : कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता, रोजगार और कौशल प्रशिक्षण, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएँ, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, अवसंरचन, नवाचार, अनुसंधान व विकास, और, अगली पीढ़ी के सुधार।
केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने केंद्र सरकार के संसद में प्रस्तुत बजट की प्राथमिकताओं पर विस्तार से प्रकाश ड़ाला और बताया कि हमारी सरकार उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु के अऩुकूल किस्मों के विकास पर जोर देने के लिए कृषि अनुसंधान व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करेगी। खेती में सुविधा हो और समय के साथ खेती में तकनीकी सुधार आवश्यक होता है। जब भी कोई पैसा किसानी के काम में लगता है वह जब किसान के पास आता है तो देश की इकॉनॉमी पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी। अगले दो वर्षों में पूरे देश में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि के लिए सहायता दी जाएगी ताकि रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव से बचा जा सकेगा। इसके लिए प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था भी शामिल होगी। इसका कार्यान्वयन वैज्ञानिक संस्थाओं और इच्छुक ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाएगा।
10 हजार आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसी तिलहनों के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने हेतु एक कार्यनीति बनाई जा रही है। प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों के नजदीक बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। डॉ. मांडविया ने कहा कि 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन के ब्यौरे को किसान और जमीन की रजिस्ट्री में दर्ज किया जाएगा। झींगा ब्रूड-स्टॉक्स के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इस साल कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए 3 योजनाओं को लागू करेगी। ये ईपीएफओ (EPFO) में नामांकन तथा पहली बार रोजगार पाने वालों को अभिचिह्नित करने तथा कर्मचारियों और नियोक्ताओं को सहायता प्रदान करने पर आधारित होंगे। इस पैकेज की पहली योजना के तहत सभी औपचारिक क्षेत्रों में कामगारों के रूप में शामिल होने वाले सभी नवनियुक्त व्यक्तियों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा। ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को एक महीने के वेतन का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण तीन किस्तों में किया जाएगा, जो अधिकतम 15 हजार होगा। इस योजना के अंतर्गत पात्रता सीमा 1 लाख का मासिक वेतन होगा। इस योजना से 210 लाख युवाओं के लाभान्वित होने की आशा है। दूसरी योजना में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन किया जाएगा। इस योजना में विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहन दिया जाएगा जो पहली बार रोजगार पाने वालों के रोजगार से जुड़ा है। सीधे कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को विनिर्दिष्ट पैमाने पर रोजगार के पहले चार वर्षों में ईपीएफओ में उनके अंशदान के संबंध में प्रोत्साहन दिया जाएगा।
डॉ. मांडविया ने कहा कि सरकार संवर्धित निधि की गारंटी के साथ 7.5 लाख तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना को संशोधित किया जाएगा। इस उपाय से प्रतिवर्ष 25 हजार छात्रों को सहायता मिलने की आशा है। घरेलू संस्थानों में उच्चतर शिक्षा के लिए 10 लाख तक के ऋण हेतु एक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए प्रति वर्ष 1 लाख विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से ऋण राशि के 3 प्रतिशत वार्षिक ब्याज छूट के लिए ई-वाउचर दिए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने कहा कि समावेशी विकास और समाजिक न्याय आज की आवश्यकता है। इसके लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान पर काम किया जाएगा। जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए, हम जनजातीय-बहुल गाँवों और आकांक्षी जिलों में सभी जनजातीय परिवारों का पूर्ण कवरेज करते हुए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की शुरूआत करेंगे। इसमें 63 हजार गाँव शामिल होंगे जिससे 5 करोड़ जनजातीय लोगों को लाभ मिलेगा। महिला सशक्तीकरण व महिलों के सर्वतोमुखी विकास पर बल देते हुए हमारी सरकार उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिला हॉस्टलों और शिशु गृहों की स्थापना करके कामगारों में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सुविधाजनक बनाएंगे।
इसके अतिरिक्त, इस साझेदारी में महिला विशिष्ट कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने और महिला स्व-सहायता समूह उद्यमियों के लिए बाजार तक पहुँच को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे। महिला-संचालित विकास को बढ़ावा देने के लिए, इस बजट में महिलाओं और बालिकाओं को लाभ देने वाली योजनाओं हेतु 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आबंटन की व्यवस्था की गई है। आधारभूत संरचना के क्षेत्र में अब तक हुए कामों की चर्चा करते हे डॉ. मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में अवसंरचना निवेश के तहत इस वर्ष, पूंजीगत व्यय के लिए 11,11,111 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। यह हमारी जीडीपी का 3.4 प्रतिशत होगा।
डॉ. मांडविया ने कहा कि जिस भी देश में आधारभूत संरचना को मजबूत करने का काम होता है, वही देश विकसित होता है। इससे निवेश बढ़ता है, इससे परिवहन की लागत कम होती है, नौकरियों में वृद्धि होती है और देश के नागरिकों को मिलने वाली तमाम सुविधाओं में वृद्धि होती है। इससे विकसित देश की कल्पना साकार होगी। इसी तरह इस वर्ष ग्रामीण अवसंरचना सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। केंद्र सरकार बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और आंध्र प्रदेश को शामिल करते हुए देश के पूर्वी क्षेत्र के चहुँमुखी विकास के लिए पूर्वोदय नामक योजना तैयार करेगी। इस योजना में मानव संसाधन विकास, अवसंरचना और आर्थिक अवसरों का सृजन शामिल किया जाएगा, ताकि यह क्षेत्र विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाए।
केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने पीएम आवास योजना की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत, देश में ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में तीन करोड़ अतिरिक्त मकानों की घोषणा की गई है, जिसके लिए आवश्यक आबंटन किए जा रहे हैं। 10 करोड़ रुपए के निवेश से शहरी क्षेत्रों में 1 करोड़ आवास बनाए जाएंगे। इससे गरीबों-मजदूरों को स्लम क्षेत्रों में रहने की विवशता से मुक्ति मिलेगी। केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने बज़ट की प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए पत्रकारों को बताया कि इस बजट में एमएसएमई और विनिर्माण, विशेषकर श्रम-प्रधान विनिर्माण की ओर विशेष ध्यान दिया गया है। एक पैकेज बनाया गया है जिसमें एमएसएमई के लिए वित्तपोषण, विनियामक परिवर्तनों और प्रौद्योगिकी सहायता को शामिल किया गया है।
विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना के तहत सम्पार्श्विक अथवा तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए एक ऋण गारंटी योजना प्रारंभ की जाएगी। यह योजना ऐसे एमएसएमई के ऋण जोखिमों की पूलिंग के आधार पर संचालित होगी। प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक का गारंटी कवर देने के लिए एक पृथक स्व-वित्त गारंटी निधि बनाई जाएगी, जबकि ऋण की राशि इससे अधिक हो सकती है।
इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री रामविचार नेताम, ओपी चौधरी, टंकराम वर्मा, बजट कार्यो के समन्वयक प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी उपस्थित थे।
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