दोनों पार्टियों के संगठन में दावेदारों को फाइनल करने की चुनौती
सियासी शतरंज के मोहरों पर दांव लगाने पर भाजपा-कांग्रेस में मंथन
बृजमोहन अग्रवाल के गढ़ में सेंधमारी कर पाना कांग्रेस के लिए चुनौती
बृजमोहन की साख पर भाजपा बुनेगी चुनावी तानाबाना
रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट (Raipur South Assembly Seat) पर चुनाव की तिथि घोषित होते ही भाजपा और कांग्रेस के संगठन में दावेदारों को लेकर मंथन का दौर शुरू हो चुका है। सूचना है कि भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress) के नेताओं में दावेदार के नाम और जातीय स्मीकरण के साथ-साथ कार्यकर्ताओं की मंशा को भांपने की कोशिश तेज हो गई है। भाजपा के अंदरखाने से खबर है कि सोमवार को सीएम विष्णुदेव साय के साथ भाजपा संगठन के पदाधिकारियों की बैठक हुई थी। जिसमें संभावित दावेदारों के नामों पर काफी देर तक विचार मंथन हुआ था। मंगलवार को भी भाजपा के पदाधिकारी टिकट के दावेदारों के नामों की सूची तय करने में देर रात तक व्यस्त रहे।
फिलहाल अभी तक कोई नाम सामने निकलकर नहीं आया है। इधर, कांग्रेस भी रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के उपचुनाव को हल्के में लेने के मूड में नहीं है। क्योंकि कांग्रेस को पता है कि भाजपा के कद्दवार नेता बृजमोहन अग्रवाल के गढ़ में सेंधमारी कर पाना आसान नहीं है। जबकि भाजपा अपनी परंपरागत सीट को बनाए रखने के लिए रणनीति के साथ उतरने की कोशिश में है। इस काम में बृजमोहन अग्रवाल खुद लगे हुए हैं, अपने कार्यकर्ताओं की फौज को विधानसभा चुनाव में रणनीति के साथ उतरने का मास्टर प्लान दे चुके हैं। वैसे बृजमोहन का मानना है कि संगठन जिसे भी टिकट देगी, उसकी जीत पक्की है। लेकिन भाजपा संगठन में चर्चा है कि जिस दावेदार के नाम पर बृजमोहन अग्रवाल की सहमति होगी, उसे ही भाजपा टिकट देगी। क्योंकि भाजपा इसमें कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
भाजपा में सतही तौर पर रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के लिए सांसद रहे सुनील सोनी का नाम चर्चा में है। माना जा रहा है कि रायपुर सीट पर टिकट नहीं मिलने के बावजूद सुनील सोनी लोकसभा चुनाव में पूरी निष्ठा के साथ संगठन के लिए काम करते रहे हैं। बृजमोहन अग्रवाल के साथ वे चुनाव के दौरान सक्रिय थे। ऐेसे में अनुमान है कि उनकी दावेदारी भी मजबूत है। वहीं संजय श्रीवास्तव और केदारनाथ गुप्ता भी टिकट के दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं। जहां संजय श्रीवास्तव भाजपा के सक्रिय नेता हंै। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान बृजमोहन अग्रवाल की रणनीति को मूर्तरूप देने के लिए दिनरात जुटे हुए थे। इसलिए केदारनाथ गुप्ता भी बृजमोहन अग्रवाल और भाजपा की पसंद हो सकते हैं। फिलहाल, नंदन जैन का नाम भी चर्चा में है। वैसे अब संगठन किसके नाम पर मुहर लगाएगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल 1990 से 2023 तक लगातार आठ विधानसभा चुनाव जीते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास को 60 हजार से भी ज्यादा वोटों से चुनाव हराया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल को एक लाख नौ हजार दो सौ 63 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास को 41 हजार 544 वोट मिले थे।
कांग्रेस में टिकट दावेदारों के नाम की चर्चाओं की कड़ी में रायपुर के पूर्व महापौर प्रमोद दुबे और कन्हैया अग्रवाल का नाम फिलहाल प्रमुख रूप से आगे चल रहा है। वैसे रायपुर दक्षिण सीट पर भी कांग्रेस की ओर से कई नाम चल रहे हैं। इस सीट पर नाम को फाइनल करने के लिए कांग्रेस संगठन ने समिति बनाई है। जो यह देखने की कोशिश करेगी, बृजमोहन के गढ़ को भेदने के लिए किसके पास अच्छी टीम है। क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस बहुत फूंक-फूंककर कदम रखना चाहती है।
छत्तीसगढ़ की रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट जीतने के लिए कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी हैं। उपचुनाव को बेहतर तरीके से संपन्न कराने के लिए कांग्रेस ने 9 सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया है। यह समिति पूरी चुनावी तैयारियों पर नजर रखेगी। कांग्रेस की उपचुनाव समिति में 6 पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायक समेत सीनियर नेताओं को जवाबदारी दी गई है। जिसमें पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, रविन्द्र चौबे, मोहन मरकाम, शिव डहरिया, जयसिंह अग्रवाल, पूर्व पीसीसी चीफ धनेंद्र साहू, पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा, रुचिर गर्ग और उधो राम वर्मा शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव 13 नवंबर को होगा और नतीजे 23 नंवबर को घोषित होंगे। नामांकन की प्रक्रिया 18 अक्टूबर से शुरू होगी। चुनाव आयोग के मुताबिक, नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। वहीं नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है।
गौरतलब है कि इस सीट पर भाजपा के विधायक के रूप में बृजमोहन अग्रवाल ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्हें भाजपा की सरकार में शिक्षा मंत्री बनाया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें भाजपा ने टिकट दिया और वे रिकार्ड मतों से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्हें संवैधानिक प्रक्रिया के तहत विधायकी और शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके चलते रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई है।
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