कांग्रेस के डीएनए में ही राम-द्रोह और महिलाओं का तिरस्कार रचा-बसा है- केदार नाथ गुप्ता

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से सुश्री राधिका खेड़ा (Radhika Kheda) के

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  • Updated On - May 5, 2024 / 08:46 PM IST

  • जिसने भी अपनी आस्था के वशीभूत होकर अयोध्या जाकर भगवान रामलला के दर्शन किए, उन सबको कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता (BJP State spokesperson Kedarnath Gupta) ने कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से सुश्री राधिका खेड़ा (Radhika Kheda) के त्यागपत्र पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सुश्री खेड़ा के साथ अंतत: वही हुआ, जो होना था। राधिका खेड़ा के मामले में कांग्रेस जाँच करने का दिखावा कर मामले की लीपापोती करने में लगी थी, यह सुश्री खेड़ा के त्यागपत्र से स्पष्ट प्रतीत हो रहा है। श्री गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस के डीएनए में ही राम-द्रोह और महिलाओं का तिरस्कार रचा-बसा है। अयोध्या जाकर प्रभु श्रीरामलला का दर्शन करने पर जो दुर्व्यवहार सुश्री खेड़ा के साथ कांग्रेस में किया गया, यकीनन उसकी बड़ी कीमत कांग्रेस को चुकानी तो पड़ेगी।

  • भाजपा प्रदेश प्रवक्ता  गुप्ता ने कहा कि रामलला के दर्शन करने वालीं सुश्री खेड़ा कांग्रेस में पहली नेता नहीं हैं। जिस-जिसने भी प्रभु श्रीरामलला प्राण-प्रतिष्ठा के न्योते को ठुकराने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले से असहमत था, जिस-जिसने भी अपनी आस्था के वशीभूत होकर अयोध्या जाकर भगवान रामलला के दर्शन किए, उन सबको या तो कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया या फिर उन्हें कांग्रेस छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया। आचार्य प्रमोद कृष्णम के निष्कासन से लेकर सुश्री खेड़ा के इस्तीफे तक का यह दौर कांग्रेस के उस दावे की बखिया उधेड़ रहा है जिसमें कांग्रेस के लोकतंत्र में विश्वास और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की डींगें हाँकते कांग्रेसी देशभर में अपने रामद्रोही व महिला-विरोधी राजनीतिक चरित्र लिए फिर रहे हैं। श्री गुप्ता ने कहा कि सुश्री खेड़ा के साथ बदसलूकी हुए 6 दिन बीतने के बाद भी जब न्याय नहीं मिल सका और उनका आत्म-सम्मान सुरक्षित नहीं रहा तो वह कांग्रेस देश की महिलाओं के सम्मान की रक्षा और उनके साथ क्या खाक न्याय करेगी? श्री गुप्ता ने कहा कि कांग्रेसियों के लिए यह बेहद शर्मनाक है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के पास न्याय मांगने के लिए सुश्री खेड़ा को सुरक्षा के लिहाज से अपनी माँ के साथ जाना पड़ा!

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस में महिला नेत्रियों के साथ किस तरह दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है, यह सुश्री खेड़ा के साथ हुई बदसलूकी से एकदम साफ है। अगर कांग्रेस महिला न्याय के ढोल पीट रही है, तब सवाल यह उठता है कि सुश्री खेड़ा को न्याय के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों पड़ा? जबकि, इस घटना के ठीक दूसरे दिन कांग्रेस के नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर पवन खेड़ा तो रायपुर में थे। अगर वह चाहते कि सचमुच राधिका खेड़ा को न्याय मिले तो वहीं आमने-सामने सारी बात सुनकर मामले का पटाक्षेप कर देते और सुश्री खेड़ा को न्याय दिलवा देते। श्री गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस नेत्री प्रियंका वाड्रा छत्तीसगढ़ आकर दो सभाएँ लेकर लौट गईं पर इस मामले में उनके मुँह से दो बोल तक नहीं फूटे और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तो इस मुद्दे पर सवालों से बचने के लिए यहाँ आयोजित अपनी पत्रकार वार्ता ही रद्द करके दिल्ली लौट गए। छत्तीसगढ़ आकर दिल्ली लौटने के बाद पवन खेड़ा को भी इस मामले की सुध लेना याद आया!

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री गुप्ता ने सुश्री खेड़ा के उस ट्वीट का उल्लेख भी किया, जिसमें सुश्री खेड़ा ने पहले लिखा कि वह कौशल्या माता की धरती पर हैं और पुरुषत्ववादी नेता उन्हें पैरों तले कुचल रहे हैं। फिर लिखा कि मैं राम के ननिहाल में हूँ, लड़की हूँ लड़ सकती हूँ। एक और ट्वीट करके कहा था- “दुशील को लेकर कका का मोह एक लड़की की इज्जत से बढ़कर है।” श्री गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के अपनी ही पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता के अपमान की कीमत पर किसी के प्रति मोहग्रस्त होने पर हैरानी जताई और सवाल किया कि क्या भूपेश बघेल ‘भेंट-मुलाकात’ कार्यक्रम में एक महिला को ‘ए लड़की’ कहकर अपमानित करने की तर्ज पर ही सुश्री खेड़ा को भी उसी भाषा में नसीहत देने की फिराक में थे कि ‘ए लड़की, ज्यादा राजनीति मत कर।’ श्री गुप्ता ने यह भी सवाल किया कि क्या राधिका जी की यह गलती थी कि उन्होंने अयोध्या में भगवान श्री राम का दर्शन किए? कांग्रेसी लोग भगवान राम को नकारते रहे, शायद भगवान श्री राम के दर्शन करने और महिला होने का खामियाजा राधिका खेड़ा को उठाना पड़ा। यह अधार्मिक कांग्रेसी लोग महिलाओं के साथ भी लगातार अत्याचार करने वाले वाले हैं। कांग्रेस महिलाओं से न्याय, उनके सम्मान और सशक्तीकरण की बातें सिर्फ घोषणा पत्र में करती है, जमीनी धरातल पर वह महिलाओं को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करके उनसे हर बार छलावा ही करती है, यह एक बार फिर साबित हो गया।

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