रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) द्वारा स्थापित पार्टी ‘जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी)’ का कांग्रेस में विलय हो सकता है। पार्टी की प्रमुख रेणु जोगी ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर इस विलय की इच्छा व्यक्त की है। पत्र में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ी है, और पार्टी की कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि जेसीसीजे का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विलय कर दिया जाए। हालांकि, इस मुद्दे पर पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का रुख अलग है, और वह इसके पक्ष में नहीं हैं।
रेणु जोगी के पत्र पर अमित जोगी के भी हस्ताक्षर हैं। 2014 में हुए बस्तर के अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को चुनावी मैदान से हटाने की कथित साजिश को लेकर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था, जिसमें अजीत और अमित जोगी का नाम जुड़ा था। इसके बाद, कांग्रेस ने अमित जोगी को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था, और अजीत जोगी को भी नोटिस जारी किया था। इसके बाद जोगी परिवार ने अपनी पार्टी की स्थापना का निर्णय लिया। 21 जून 2016 को अजीत जोगी ने ‘जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़’ (JCCJ) की नींव रखी थी, और यह माना जा रहा था कि जोगी कांग्रेस प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
पार्टी के गठन के बाद, रेणु जोगी ने कुछ समय तक कांग्रेस में रहकर अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रखीं, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कोटा विधानसभा सीट से जेसीसीजे के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन पारंपरिक सीटों मरवाही और कोटा से उनकी पार्टी को बड़ी सफलता नहीं मिली। इसके बाद यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय हो सकता है, लेकिन अजीत जोगी के जीवित रहते तक यह सिर्फ कयास ही बने रहे।
2020 में अजीत जोगी के निधन के बाद, पार्टी की स्थिति काफी कमजोर हो गई, और कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। अमित जोगी और रेणु जोगी के बीच पार्टी के भविष्य को लेकर कई बार मतभेद सामने आए। 2023 के विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे की स्थिति इतनी खराब हो गई कि वह सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार तक नहीं उतार पाई। अमित जोगी ने भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें महज 4822 वोट ही मिले।
रायपुर दक्षिण उपचुनाव से पहले अमित और रेणु जोगी ने कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत से मुलाकात की थी, और इस दौरान कांग्रेस में वापसी की चर्चा भी की गई थी। जेसीसीजे ने दक्षिण उपचुनाव में कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देने का भी ऐलान किया था, हालांकि इससे कांग्रेस को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।
कांग्रेस के बागी नेताओं की भी पार्टी में वापसी की कोशिशें चल रही हैं। हार के बाद, कई नेताओं ने कांग्रेस में फिर से शामिल होने के लिए अप्रोच की है और लिखित माफी भी भेजी है। इन नेताओं के आवेदन अब कमेटी के पास जाएंगे, जहां उनकी जांच की जाएगी। इसके बाद, यह रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी के पास जाएगी, और पार्टी में इनकी वापसी का निर्णय लिया जाएगा।
कांग्रेस से निष्कासित या बागी होकर अलग हुए नेता अब पार्टी में पुनः शामिल होने के लिए प्रयासरत हैं। हार के बाद, इन नेताओं की वापसी के लिए पहलें की जा रही हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भी कुछ बागी नेताओं से संपर्क किया है, जिससे उनकी वापसी का रास्ता खुल सकता है।