रायपुर। भाजपा में शामिल हो चुकीं राधिका खेड़ा (Radhika Kheda) ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) के मानहानि नोटिस का जवाब दिया है। इसमें बताया गया है कि कोरबा के रिसॉर्ट में उन्हें शराब ऑफर की गई। उनके साथ गाली-गलौज किया गया। इसकी शिकायत पार्टी नेताओं से की गई, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
दरअसल, सुशील आनंद शुक्ला ने विवाद के बाद राधिका को मानहानि का नोटिस भेजते हुए कई आरोप लगाए थे। यह भी कहा था कि माफी नहीं मांगने पर कानूनी कार्रवाई करेंगे। अब राधिका ने जवाब के साथ सुशील के दावों को गलत बताते हुए उनसे तीन दिन में माफी मांगने के लिए कहा है।
राधिका खेड़ा के वकील हरिंदर सिंह की ओर से मानहानि नोटिस का जवाब दिया गया है। इसमें बताया गया है कि 1 फरवरी 2024 को जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा चल रही थी, तब कोरबा के जश्न रिसॉर्ट में रात को सुशील आनंद शुक्ला और धनंजय सिंह ठाकुर ने राधिका को कई बार अनुचित तरीके से शराब की पेशकश की थी।
राधिका के वकील हरिंदर की ओर से कहा गया है कि मेरे मुवक्किल के साथ दुर्व्यवहार करना जारी रखा। शराब के नशे में कुछ लोगों के साथ राधिका खेड़ा के कमरे का दरवाजा पीटा जा रहा था, जिससे उनको अपनी सुरक्षा की चिंता हो रही थी। मेरे मुवक्किल को गाली दी गई।
1 मई : राधिका ने बुधवार को ‘X’ पर पोस्ट किया। इसमें लिखा- ‘मेरी 40 साल की उम्र में मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। मेरी इतनी बेइज्जती कभी नहीं हुई। मैं जब उससे बात करती हूं, वो मुझ पर चिल्लाता है।’ रायपुर स्थित कांग्रेस के राजीव भवन में ये बात पार्टी की नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर राधिका खेड़ा ने रोते-बिलखते हुए कही। इसके बाद उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि क्या पुरुषत्व-विहीन हुई ये धरा..।
2 मई : इस पूरी घटना का वीडियो सामने आने के बाद पवन खेड़ा ने पीसीसी चीफ दीपक बैज को पत्र लिखकर 24 घंटे के भीतर ही जवाब मंगा था।
3 मई : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बारी-बारी से राधिका खेड़ा और सुशील आनंद शुक्ला से करीब 3 घंटे से ज्यादा देर तक चर्चा की। इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता नितिन भंसाली, सुरेंद्र वर्मा, मीडिया पैनलिस्ट परवेज आलम, दीपक पांडेय भी मौजूद रहे।
5 मई : राधिका खेड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘मैंने कभी पार्टी लाइन नहीं पार की, मैंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम किया है। सिर्फ इसलिए कि मैंने अयोध्या का दौरा किया, सिर्फ इसलिए कि मैं एक हिंदू हूं, मैं सनातन धर्म की अनुयायी हूं। मुझे न्याय नहीं मिला। क्या आपकी (कांग्रेस) लड़ाई रामलला से है या आपकी लड़ाई किसी राजनीतिक दल से है ? इस पार्टी को फैसला करना होगा। मैंने 6 दिनों तक इंतजार किया और न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए 22 साल बाद मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।’
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