रायपुर। कांग्रेस की करारी हार के बाद अब पार्टी के अंदर बगावती सुर तेज हो गए हैं। ऐसे में 22 पूर्व विधायकों (22 former MLAs) जिनके टिकट AICC सर्वे के नाम पर काट दिए। जबकि उनका कहना है कि यहां टिकट का वितरण दलालों के माध्यम से वितरित किए गए। 10 पूर्व कांग्रेसी विधायकों ने शनिवार को दिल्ली में महासचिव केसी वेणुगोपाल (General Secretary KC Venugopal) से मुलाकात कर रिपोर्ट दी। उन्होंने प्रदेश के बड़े नेताओं को हार का जिम्मेदार बताया। एक दिन पहले ही प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस में दलालों और वामपंथियों का कब्जा है।
दिल्ली में बैठे इन पूर्व विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस के सर्वे पर भी सवाल उठाए हैं। पूर्व विधायकों का कहना है कि जिस सर्वे के आधार पर उनका टिकट काटा गया, उसे AICC ने नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेताओं ने करवाया था। यह सर्वे किसने करवाया? किस आधार पर विधायकों के टिकट काटे गए? हम इसकी जांच चाहते हैं।
मंत्रियों का क्यों नहीं हुआ सर्वे
डॉ. विनय जायसवाल ने कहा कि वेणुगोपाल जी से पूर्व विधायकों के साथ एक डेलिगेशन ने मुलाकात की है। उनसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जो करारी हार हुई है, उसको लेकर हमने अपनी बातों को रखा है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि दिल्ली का जो सर्वे है, रणनीतिकारों ने नहीं होने दिया।
टिकट कटने के बाद से ही बृहस्पत सिंह ने पार्टी की प्रभारी कुमारी सैलजा और डिप्टी सीएम पर कई आरोप लगाए। इसके बाद डॉ. विनय जायसवाल ने चंदन यादव पर पैसों के लेन-देन का आरोप लगाया। पार्टी के महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने एक दिन पहले हाईकमान को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि कांग्रेस में दलालों और वामपंथियों का कब्जा है। उन्होंने कहा कांग्रेस को हार की समीक्षा 15 दिनों बाद भी करने की आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही है। पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मान-मनौवल के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
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