रायपुर : पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव और निलंबित राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया (Soumya Chaurasia) एक बार फिर जेल लौटने जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में उन्हें गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब वह 287 दिन पहले ही जेल से बाहर आई थीं। अब उन्हें दोबारा रायपुर केंद्रीय जेल में रखा जाएगा।
सौम्या चौरसिया इससे पहले 1164 करोड़ रुपये से जुड़े चार अलग अलग मामलों में 822 दिन तक जेल में रह चुकी हैं। इनमें कोल लेवी डीएमएफ और आय से अधिक संपत्ति के मामले शामिल हैं। ईडी ने उन्हें पहली बार 2 दिसंबर 2022 को कोल लेवी घोटाले में गिरफ्तार किया था। लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद 3 मार्च को उन्हें जमानत मिली थी और वह करीब नौ महीने तक जेल से बाहर रहीं।
मंगलवार को ईडी ने शराब घोटाले की जांच के तहत उन्हें फिर से हिरासत में लिया। इस तरह सौम्या पर अब कुल 4364 करोड़ रुपये के घोटालों में शामिल होने का आरोप है। एजेंसी के अनुसार यह कार्रवाई रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा कारोबारी अनवर ढेबर चैतन्य बघेल मनीष उपाध्याय और जयचंद कोसले से जुड़ी चैट रिपोर्ट और पूछताछ के आधार पर की गई है।
जांच में सामने आया है कि पिछली सरकार के दौरान प्रभावशाली अधिकारियों के कई व्हाट्सएप ग्रुप सक्रिय थे जिनमें बिग बॉस जय मां काली पाल ग्रुप डिस्कशन जुगनू अवतार और मंथली ग्रुप शामिल थे। मंथली ग्रुप में पैसों के लेन देन का जिक्र मिला है। गिरफ्तार आरोपियों से जब्त डायरी में भी कोडवर्ड में लेन देन का उल्लेख मिला है जिसके आधार पर एजेंसियों ने कार्रवाई को आगे बढ़ाया।
जांच एजेंसियां 4364 करोड़ रुपये के घोटाले की अलग अलग परतों की जांच कर रही हैं। इसमें 500 करोड़ रुपये के अवैध कोल लेवी मामले में ईडी 540 करोड़ के कोल लेवी केस और 575 करोड़ के डीएमएफ घोटाले में ईओडब्ल्यू 49 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति मामले में ईओडब्ल्यू और अब 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में ईडी की गिरफ्तारी शामिल है।
आय और संपत्ति के आकलन में जांच एजेंसियों ने बड़ा अंतर पाया है। सौम्या चौरसिया की कुल आय 89.19 लाख रुपये बताई गई है जबकि खर्च 27.41 लाख रुपये दर्शाया गया है। उनके परिजन सौरभ शांति देवी और अनुराग की घोषित आय की तुलना में करोड़ों रुपये के खर्च और निवेश सामने आए हैं। ईओडब्ल्यू और ईडी ने मिलकर सौम्या और उनके परिजनों की करीब 47 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की हैं जिनमें अचल संपत्तियां एफडी और म्यूचुअल फंड निवेश शामिल हैं।
एजेंसी का दावा है कि 2008 बैच की डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया को 17 साल की सेवा में लगभग 89 लाख रुपये का वेतन मिला जबकि परिवार की कुल आय 2.51 करोड़ रुपये रही। इसके मुकाबले 49.69 करोड़ रुपये की 45 बेनामी संपत्तियां खरीदी गईं जो घोषित आय से कई गुना अधिक हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार यह संपत्ति आय से 1872 प्रतिशत अधिक है और इसी आधार पर आगे की जांच और कानूनी कार्रवाई जारी है।