Special Story : छत्तीसगढ़ी भाषा की ‘अलख जगा’ रहे नंदकिशोर! 1 हजार किलोमीटर ‘साइकिल’ से कर डाली यात्रा
By : hashtagu, Last Updated : November 28, 2023 | 8:05 pm
छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर लम्बे समय से काम कर रहे 81 साल के नंदकिशोर शुक्ल (Nand Kishore Shukla) लगातार पद यात्रा और साइकिल से यात्रा कर गांव गांव जाकर लोगो को जागरूक कर रहे हैं । शुरुआती दिनों से ही समाज सेवा में लगे नंदकिशोर ने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया। इसलिए उन्होंने शादी भी नहीं की।
बातचीत में नंदकिशोर शुक्ल ने बताया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से ही छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा बनाने की मांग शुरू हो गई थी। 2007 के दौरान इसकी मांग तेज हुई और बिलासपुर में छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच का गठन किया गया। उस दौरान आंदोलन इतना तेज रहा है कि 28 नवबंर 2007 को विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा बनाने के लिए विधेयक पारित किया गया।
शादी नहीं करने बनाने थे बहाना
नंदकिशोर शुक्ल शुरूआती दिनों से ही समाज सेवा करने की ठानी थी। यही कारण रहा की उन्होंने विवाद नहीं किया। नंदकिशोर ने बताया कि शादी करके मैं पारिवारिक बंधन में नहीं बंधना चाहता था। कई बार रिश्ते आए उस समय मैं अपनी शर्त रख देता था की उन्हें भी मेरी तरह जीवन जीना पड़ेगा। मेरे फैसले से घर वाले खास तौर पर मेरी मां नाराज रहती थी। लेकिन बाद में सभी ने मेरी बातों को समझा।
जन जागरण के सिवाय कोई उपाय नहीं
नंदकिशोर शुक्ल ने बताया छत्तीसगढ़ी भाषा को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए जन जागरण बेहद आवश्यक है। इसके सिवाय कोई और रास्ता भी नहीं है। जन शक्ति जब खड़े होती है तब राजनीतिक पार्टियों में दबाव बनता है और सरकार उस काम को करती है। इसलिए लोगों को संगठित करने का मेरा काम जारी रहेगा। छत्तीसगढ़ में किसी भी राजनीतिक पार्टी की सरकार हम उनसे निवेदन करेंगे अगर निवेदन के बाद भी वे नहीं मानेंगे तो हमारी जमीनी जंग जारी रहेगी।
1000 किलोमीटर सायकल की यात्रा
नंदकिशोर ने छत्तीसगढ़ी भाषा को पढ़ाई लिखाई की बनाने और शासकीय कामकाज भाषा बनाने की मांग को लेकर 2012 से गांव गांव जाकर लोगो को संगठित और जागरूक करने के काम शुरू किया था। शुक्ल ने बताया की उन्होंने अब तक 1000 किलोमीटर से अधिक साइकिल से यात्रा की है।
इमरजेंसी में 13 महीने की जेल हुई
नंदकिशोर शुक्ल इमरजेंसी के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े और तत्कालीन सरकार की नीतियों का विरोध किया। इमरजेंसी के दौरान शुक्ल उड़ीसा के संबलपुर जेल में 13 महीने जेल में रहे है। साथी समाज सेवा के क्षेत्र में उन्होंने कई संस्थाओं के साथ मिलकर काम किया है। कई पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार के रूप में कई रचनाएं की है।
इसलिए मनाया जाता है राजभाषा दिवस
28 नवंबर 2007 को विधानसभा में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा आयोग विधेयक पारित किया गया था। जिसके बाद से 28 नवंबर को हर साल राजभाषा के दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया गया। इस आयोग का कार्य 14 अगस्त 2008 से चालू हुआ। आयोग के प्रथम सचिव पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को बनाया गया था।इस आयोग के गठन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ी राजभाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में दर्जा दिलाने। छत्तीसगढ़ी भाषा को सरकारी कामकाज की भाषा में उपयोग में लाने और छत्तीसगढ़ भाषा को पाठ्यक्रम में लागू करने के लिए बनाया गया । हालांकि छत्तीसगढ़ी भाषा को अब तक आठवीं अनुसूची का दर्जा नहीं मिल पाया है।
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