सालों बाद आत्मसमर्पित नक्सलियों ने मनाई पहली आज़ाद दीवाली, किया पूजन और आतिशबाजी

By : ira saxena, Last Updated : October 21, 2025 | 5:39 am

कांकेर/गरियाबंद: छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण (surrendered naxals) कर मुख्यधारा में लौटे नक्सलियों ने इस बार पहली बार दीवाली का पर्व पूरी धूमधाम से मनाया। कांकेर और गरियाबंद जिले में पुलिस की पहल पर इन नक्सलियों ने मां लक्ष्मी की पूजा की, दीये जलाए, मिठाइयां बांटी और जमकर आतिशबाजी की। यह पहला मौका था जब उन्होंने बिना डर और हथियारों के दीवाली की खुशियों को खुले दिल से जिया।

कांकेर में हुए आयोजन में दिखी रौनक
कांकेर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इनमें शामिल सोनू हेमला, जो पहले किसकोडो एरिया कमेटी का सचिव था, ने कहा कि जंगल में बिताए सालों पर अब पछतावा होता है। उन्होंने बताया कि त्योहारों के समय परिवार से दूर रहना सबसे बड़ा दर्द था। अब वे समाज का हिस्सा बनकर अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने को लेकर उत्साहित हैं।

एक अन्य नक्सली ने कहा, “जंगल में केवल हथियार और दहशत थी, जीवन नहीं था। आजादी की असली खुशी अब समझ आ रही है।” उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने भी उनके साथ सरेंडर किया और यह दीवाली दोनों के लिए खास है।

गरियाबंद में भी नजर आई आज़ादी की रौशनी
गरियाबंद में भी आत्मसमर्पित महिला नक्सलियों ने पहली बार आम महिलाओं की तरह दीवाली मनाई। इनमें 8 लाख की इनामी जानसी, जुनकी, वैजयंती, मंजुला और मैना शामिल थीं। कभी जिनके नाम से गांव और जंगलों में डर था, आज वे गरियाबंद के बाजार में दीवाली की खरीदारी करते नजर आईं। रंग-बिरंगे कपड़े चुनते हुए उनके चेहरे पर असली आज़ादी की चमक दिख रही थी।

पुलिस ने की पूरी व्यवस्था
कांकेर और गरियाबंद पुलिस प्रशासन ने सरेंडर कर चुके नक्सलियों के लिए दीवाली मनाने की पूरी व्यवस्था की थी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह पहल इन पूर्व नक्सलियों को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अहसास कराने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।