रायपुर। अरविंद नेताम के कांग्रेस छोड़ने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कांग्रेस ने कहा कि अरविंद नेताम (Arvind Netam) के कांग्रेस से जाने से कांग्रेस पार्टी को कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) ने कहा कि अरविंद नेताम को कांग्रेस ने सब कुछ दिया दलबदल उनकी पुरानी फितरत है। अरविंद नेताम कांग्रेस का मान-सम्मान पद प्रतिष्ठा सभी कुछ कांग्रेस ने दिया था। अनेकों बार पार्टी छोड़ने के बावजूद पार्टी ने बड़ा हृदय दिखाते हुये पार्टी में वापस लिया। अरविंद नेताम ने भानूप्रतापपुर उपचुनाव में भी पार्टी के खिलाफ काम किया तब भी पार्टी ने उन्हें समझाइश दिया तथा उनकी उम्र और वरिष्ठता का सम्मान करते हुये उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं किया।
अरविंद नेताम अनेको बार कांग्रेस पार्टी से सांसद और केंद्रीय मंत्री बने, जब वे हवाला कांड में फंसे थे तब पार्टी ने उनकी पत्नी को टिकिट देकर सांसद बनाया, उनके भाई को पार्टी ने मध्यप्रदेश में मंत्री का पद दिया था, उनकी पुत्री को भी दो बार कांग्रेस ने पार्टी का टिकिट दिया लेकिन वे अपनी पुत्री को नहीं जिता पाये। मालिक मकबूजा प्रकरण में उनके परिवार की संलिप्तता ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया था। कांग्रेस पार्टी ने अरविंद नेताम को भरपूर सम्मान दिया था। लगातार चुनाव हारने और जनाधार खोने के बाद भी पार्टी ने उनको टिकिट देती रही वे खुद ही चुनाव नहीं जीत पा रहे थे। समय के साथ कांग्रेस में नये आदिवासी नेतृत्व का उभरना उनको पसंद नहीं आ रहा था।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के 15 सालों में छत्तीसगढ़ के आदिवासी ठगे गये, उनकी प्रगति को रोकने का षड़यंत्र रचा गया था। जब आदिवासियों का कत्लेआम हो रहा था उनके गांव, गांव के गांव जलाये जा रहे थे तब अरविंद नेताम की संवेदना अपने ही लोगों के लिये कभी नहीं जागृत हुई। तब अरविंद नेताम संदेहास्पद चुप्पी साधे हुये थे। आज जब आदिवासियों के हित में काम हो रहे है तो अरविंद नेताम जैसे लोगों को इसलिए पसंद नहीं आ रहा क्योंकि इसमें उनका अपना खुद का भला नहीं हो रहा? आदिवासी समाज का भला चाहने वाला हर व्यक्ति कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ खड़ा रहेगा। अरविंद नेताम का कांग्रेस छोड़ना इस बात का प्रमाण है कि वे आदिवासी समाज के लिये नहीं अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और अति महत्वाकांक्षा के कारण कांग्रेस छोड़ा है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासी समाज में संवैधानिक अधिकारों की बहाली का काम किया है। भूपेश सरकार की प्राथमिकता में आदिवासी समाज की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनैतिक स्वास्थ्य के हितों के लिये प्रभावी काम हुआ है। जिसके चलते आदिवासी वर्ग की जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है इससे पूरा आदिवासी समाज प्रभावित हुआ। कांग्रेस की सरकार ने आदिवासी वर्ग के चहुंमुखी विकास के लिए रोजगार मूलक योजनाएं बनाई। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी के वर्ग शिक्षा के लिए 300 से अधिक बंद स्कूलों को शुरू किया गया। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विश्वास, विकास और सुरक्षा के नीतियों के तहत काम किया गया। रमन सरकार के दौरान लौहंडीगुडा दस गांवों के 1707 आदिवासी परिवार से छीनी गई 4200 एकड़ जमीन को लौटाई गई। जेलो में बंद निर्दोष आदिवासियो की रिहाई के लिये जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी बनाया गया उनकी अनुशंसा पर जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को जेल से मुक्त कराया गया।
870 मामलो में बंद निर्दोषो की रिहाई हुयी। तेंदूपत्ता का मानक दर 2500 रु से बढ़ाकर 4000 रु प्रति बोरा किया गया। 65 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी की गई, चरणपादुका खरीदने नगद राशि दी गई। बस्तर में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया। 24827 व्यक्तिगत 20,000 से अधिक सामुदायिक व 2200 वन संसाधन पट्टे वितरित किए गए, 16 लाख से अधिक हेक्टर भूमि आदिवासी वर्ग को वितरित किया गया है। 4,38,000 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित करने का शुरू किया गया। 44,300 से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किया गया। 2175 से अधिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभा को प्रदान की गई। मिलेट मिशन शुरू किया गया और बस्तर के वनोपज को देश-विदेश तक पहुंचाया गया। आज बस्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली की सुविधायें बहाल हुई है। बस्तर कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया गया, डेनिक्स के माध्यम से बस्तर के लोगों के सपनों में नई उड़ान आई है।
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