छत्तीसगढ़।(Chhattisgarh) जब छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश से अलग नहीं था, तो कम से कम (non formal teachers) औपचारिकेत्तर शिक्षकों की नौकरी थी। लेकिन अलग होने के बाद आज 22 साल से हजारों शिक्षक बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। लेकिन पूर्ववती और वर्तमान सरकार ने भी इनकी नहीं सुनी। ऐसे में वे आखिरकार हार मानकर राजधानी के बूढ़ा तालाब पर धरना स्थल पर ही 2 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। जहां अब उनके सब्र का बांध भी जवाब दे गया। इसी में एक शिक्षक ने सबसे बचकर धरना स्थल पर ही फांसी लगाने की कोशिश की। लेकिन संयोगवश वहां मौजूद पुलिस ने उसे फंदे से नीचे उतारा। जिसे तत्काल नीचे उतारकर आंबेडकर अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी हालत अब सामान्य बताई जा रही है।
पुलिस को वहां बोतलों में पेट्रोल भी मिले हैं, इसकी पुष्टि अभी आधिकारिक रूप से नहीं हो सकी है। फांसी लगाने की कोशिश करने वाला शिक्षक धरमा जांगड़े जांजगीर चापा जिले का निवासी बताया जा रहा है। मेडिकल जांच कराया गया। फिलहाल उनकी हालत अब सामान्य है। जानकारी मिली है कि जांच करने पर पुलिस को बोतलों में पेट्रोल भी मिला है। जिसे संघ के कुछ सदस्य आत्महत्या करने के उद्देश्य से लाये थे। बहरहाल, अब इस घटना के चलते प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
वहां मौजूद शिक्षकों की मांगें हैं कि उनका नियमितिकरण किया जाए। इसके लिए वे दो दिनों से धरना स्थल पर अब भूख हड़ताल शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि ऐसे में वे अब उनकी गृहस्थी नहीं चल पा रही हैं। कहा कि 22 साल से वे बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हैं। लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रही है।
अलग राज्य बनने के बाद से झेल रहे हैं बेरोजगारी की मार
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय औपचारिकेत्तर शिक्षकों द्वारा दूर अंचल के गांवों और जंगलों में बच्चों को पढ़ाया जाता था। यह शिक्षक उन जगहों में पढ़ाते थे जहां स्कूल का इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बना रहता था। ये शिक्षक बच्चों को पेड़ों के नीचे, मैदानों,गांव के चौराहों में टाटपट्टी और ब्लैक बोर्ड लगाकर शिक्षा की कमान संभाले हुए थे। सरकार द्वारा इन्हें ३००-५०० रुपये प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय देती थी, और साल २००० में जब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हुआ तो ये शिक्षक बेरोजगार हो गये। नए राज्य छत्तीसगढ़ में इन्हें परमानेंट शिक्षक के पदों पर नियुक्ति नहीं मिली।
संघ के अध्यक्ष टिकेश्वर यादव ने बताया कि, मामला २०१० में हाईकोर्ट में पहुंचा तो न्यायालय ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसमें सरकार को कोर्ट ने इन्हें नौकरी देने के लिये आदेश दिया। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। टिकेश्वर यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के समय ५ हजार के लगभग शिक्षक थे, जो अब घटकर ४५०० हो गए हैं। सरकार ने अब तक उनके लिये कोई निर्णय नहीं लिया हैं।