रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chief Minister Vishnudev Sai) ने कहा है कि तेंदूपत्ता 5500 रुपए प्रति मानक बोरा की दर से खरीदा जाएगा। मुख्यमंत्री साय ने आज कोंडागांव स्थित विकास नगर स्टेडियम में आयोजित ’जंगल जतरा 2024’ महासम्मेलन (Jungle Jatra 2024 Grand Conference) को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मोदी जी की एक और गारंटी पूरी हो गई है।
’तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन 2024’ से यह दर प्रभावशील होगी। बस्तर संभाग की प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पदाधिकारियों और संग्राहक सदस्यों के बीच उपस्थित होकर गर्व हो रहा है, क्योंकि इस कार्यक्रम के माध्यम से मोदी जी की एक और गारंटी को हम पूरा करने जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि मोदी जी ने कहा था कि यदि छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार बनी तो हम तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 4000 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रुपए मानक बोरा कर देंगे। आज इस सम्मेलन में मैं इस योजना के शुभारंभ की घोषणा करता हूं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण दर 5500 रुपए प्रति मानक बोरा होगी। साथ ही हम चरण पादुका योजना को फिर से शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहण दर में बढ़ोतरी से 12 लाख 50 हजार संग्राहक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। संग्रहण दर में बढ़ोतरी से संग्राहक भाई-बहनों को 240 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होने की संभावना है। इसके साथ ही तेंदूपत्ता संग्राहक भाई-बहनों के लिए हमारी सरकार नयी सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ कर रही है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 10 मार्च को महतारी जतन योजना के अंतर्गत 70 लाख से अधिक माताओं, बहनों और बेटियों के खातों में हम लोगों ने एक-एक हजार रुपए की पहली किश्त की राशि जारी कर दी है। इस तरह कुल 655 करोड़ रुपए से अधिक राशि अंतरित की जा चुकी है। इस सभा में उपस्थित बहुत सी माताओं-बहनों के खातों में भी एक-एक हजार रुपया आ गया होगा। इसी तरह हर महीने विवाहित माताओं-बहनों को एक-एक हजार रुपए की सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि मोदी सरकार गांव, गरीब, आदिवासी, किसानों, महिलाओं और युवाओं की चिंता करने वाली सरकार है। छत्तीसगढ़ में भी हमारी सरकार को उन्होंने यही निर्देश दिया है। उन्होंने जो गारंटियां दी थी, वह छत्तीसगढ़ की समृद्धि और खुशहाली की गारंटियां हैं। हम एक-एक करके उनकी हर गारंटी को पूरा कर रहे हैं। हमारा मुख्य फोकस बस्तर और सरगुजा संभाग पर है। इन दोनों संभागों में असीम संभावना होते हुए भी विकास नहीं हो पाया। वन, उर्वरा भूमि, नदी-नालों और खनिज संपदा से भरपूर होने के बाद भी इन संभागों के निवासियों का जीवन संवर नहीं पाया। हमारी सरकार ने विकास की जो रणनीति बनाई है, उसमें स्थानीय संपदा का लाभ स्थानीय लोगों को मिलना सुनिश्चित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में 65 तरह की लघु वनोपजों का संग्रहण होता है, जिसमें इमली, महुआ, अमचूर आदि का निर्यात भी किया जाता है। इनका ज्यादा से ज्यादा प्रसंस्करण और वैल्यू एडीशन स्थानीय स्तर पर ही हो, इस दिशा में हम ठोस प्रयास करेंगे। यहां पर भरपूर मात्रा में कोदो-कुटकी-रागी की उपज होती है। आज इन मोटे अनाजों की दुनिया में बहुत मांग है। इन मोटे अनाजों के भी स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा प्रसंस्करण और वैल्यू एडीशन की व्यवस्था की जाएगी। मोटे अनाज के उत्पादक किसान भाई-बहनों को सरकार की ओर से पूरा प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाएगा। बस्तर और सरगुजा संभाग में सिंचित रकबे का अधिक से अधिक विस्तार किया जाएगा, ताकि इन संभागों में भी दो फसली रकबा बढा़या जा सके। हमारी सरकार ने खनिज संसाधनों के विवेकपूर्ण दोहन की नीति अपनाई है। इससे होने वाली आय को हम शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे जनकल्याण के कार्यों में खर्च करेंगे। इससे स्थानीय विकास सुनिश्चित किया जाएगा।
बस्तर के विकास में सबसे बड़ा अवरोध माओवादी आतंक है। यहां जो सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, वह विकास के कैंप भी हैं। इन कैंपों के माध्यम से बस्तर के लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ विकास भी किया जाएगा। हाल ही में हमने नियद नेल्लानार योजना शुरू की है। इस योजना में सुरक्षा कैंपों के 05 किलोमीटर के दायरे में सभी गांवों का समग्र विकास किया जाएगा। वहां के निवासियों के 25 से ज्यादा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही सरकार की 32 व्यक्तिमूलक योजनाओं का लाभ भी दिलाया जाएगा। इस योजना में गांवों की अधोसंरचना का विकास किया जाएगा। सभी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास दिए जाएंगे। सभी परिवारों का राशन कार्ड बनाया जाएगा, सभी परिवारों को मुफ्त चावल, नमक, गुड़ और शक्कर दिया जाएगा। सभी परिवारों का वन अधिकार पट्टा बनाया जाएगा। साल में चार गैस सिलेंडर मुफ्त दिए जाएंगे। सभी परिवारों को मुफ्त बिजली दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत गांवों में आंगनवाड़ी सामुदायिक भवन, उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक शाला का निर्माण किया जाएगा। किसानों को सिंचाई के लिए बोरवेल सहित सिंचाई पंप दिए जाएंगे। गांवों हैंडपंप, सोलर पंप की स्थापना की जाएगी। हर गांव में खेल का मैदान बनाया जाएगा। बस्तर की संस्कृति में देवगुड़ियों और मड़ई मेलों का बड़ा महत्व है। देवगुड़ियों के संरक्षण के साथ-साथ हमारी सरकार मड़ई-मेलों का भी संरक्षण कर रही है। बस्तर दशहरा के लिए पहले केवल 25 लाख रुपए मिला करते थे, अब हमने इस राशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया है। चित्रकोट मेला के लिए दी जाने वाली राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दी गई है। इसी तरह दंतेवाड़ा की फागुन मड़ई के लिए भी 10 लाख रुपए दिए जाने का निर्णय हमारी सरकार ने लिया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में कोंडागांव जिले के 9 असर्वेक्षित गांवों का सर्वेक्षण पूरा होने के बाद ग्रामीणों को खसरों का वितरण किया जा रहा है। सर्वेक्षण के अभाव में ये ग्रामीण अनेक शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित थे। अब इन्हें भी योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। अब ये ग्रामीण भी खेती-किसानी संबंधी, सिंचाई संबंधी, सौर ऊर्जा संबंधी, पशुपालन और मछली पालन संबंधी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे। वे व्यवसाय के लिए आसानी से ऋण भी ले पाएंगे।
इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, कोंडागांव विधायक लता उसेण्डी, जगदलपुर विधायक किरण देव, केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम, दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी और कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम ने भी जंगल जतरा 2024 महासम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर बस्तर अंचल के जनप्रतिनिधिगण सहित अपर मुख्य सचिव वन मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास राव, कमिश्नर श्याम धावड़े, पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी, कलेक्टर कुणाल दुदावत, पुलिस अधीक्षक वाय अक्षय कुमार सहित बड़ी संख्या में पंचायत पदाधिकारी, वनोपज सहकारी समितियों के पदाधिकारी और तेंदूपत्ता संग्राहक उपस्थित थे।
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