रायपुर। बीजापुर जिले के तर्रेम से होकर पामेड़ की सड़क 30 साल बाद नक्सलियों के चंगुल से आजाद (Pamed road free from clutches of Naxalites after 30 years)हुई। जवानों की मुस्तैदी में इस सड़क का फिर से निर्माण कराया जा रहा है।
बीजापुर। नक्सलियों का मांद कहे जाने वाले कोरागुट्टा में फोर्स का डेरा लगते ही 30 सालों से बंद पड़े बीजापुर से तर्रेम होकर पामेड़ जाने वाले रास्ते को फिर से बहाल करा दिया गया है। फिलहाल इस मार्ग पर सड़क निर्माण का काम(Road construction work on this route) चल रहा है।
कोरागुट्टा इलाका नक्सलियों के पीएलजीए का कोर क्षेत्र कहलाता है। बीजापुर से तर्रेम, कोंडापल्ली होकर पामेड़ जाने वाले इस रास्ते पर पिछले 30 सालों से आवागमन बाधित था। इलाके के लोगों को पामेड़ पहुंचने के लिए तेलंगाना राज्य के चेरला होकर पामेड़ जाना पड़ता था। क्षेत्र के लोग 210 किलोमीटर की दूरी तय करके बीजापुर से पामेड़ पहुंचते थे।
छत्तीसगढ़ के आखिरी छोर पर बसा पामेड़ जहां जवानों से लेकर राशन तक हवाई मार्ग से पहुंचता था, नक्सलियों की सबसे ताकतवर बटालियन 1 का गढ़ था। 30 साल बाद पामेड़ को जोडऩे के लिए दोबारा सड़क बनाई जा रही है। मार्ग बहाल करने पुलिस के आला अफसरों के साथ जवानों ने कमान संभाली है। मौके पर तैनात जवानों ने बताया कि, इस इलाके में कदम-कदम पर आईईडी, बूबी ट्रैप और एंबुश का खतरा है। इन सारी चुनौतियों को पार कर यहां पर सड़क निर्माण करवाया जा रहा है।
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