छत्तीसगढ़ में पर्यटन क्षेत्र को मिली नई उड़ान, पढि़ए ICCR के समझाैते की दास्तां
By : madhukar dubey, Last Updated : November 12, 2022 | 10:03 pm
छत्तीसगढ़/रायपुर। लंबे इंतजार के बाद आखिकार आईसीसीआर और सरकार के बीच समझौता हो गया। ऐसे में जाहिर है कि छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों को नई नई उड़ान मिलेगी। शायद हर किसी को मालूम है कि पूरे छत्तीसगढ़ का इलाका रामायण में वर्णित दंडकारण्य क्षेत्र था, जहां प्रभु श्रीराम जी अपने वनवास के अधिकांश वर्ष ही बताएं थे, यहां राक्षसों का सर्वनाश कर सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया था। बहरहाल, इसके अलावा भी प्रकृति ने छत्तीसगढ़ को बहुत कुछ दर्शनीय स्थलों की सौगात दी है, जिसके प्रचार-प्रसार की जरूरत है कि ताकि यहां काफी संख्या में पर्यटक देश-विदेश से आ सके।
अब इसे पूरे प्रोफेशनल तरीके से काम करने के लिए पर्यटन विभाग ने निर्णय लिया। इस महत्वपूर्ण समझाैते में मंत्री अमरजीत भगत की महती भूमिका है। वैसे सरकार ने राम वनगमन पथ यानी जहां-जहां से श्रीराम जी गुजरें हैं, उसे संवारने और जीर्णोद्धार का काम कर रही है। इस कड़ी को अंतराष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए शनिवार को छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के मध्य समझौते से राज्य में संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में नई संभावनाएं खुलेंगी। छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत की उपस्थिति में कल नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद आईसीसीआर के मध्य समझौता हुआ।
छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति को भी बढ़ावा देने में मिलेगी मदद
छत्तीसगढ़ सरकार और आईसीसीआर के बीच हुए इस समझौते का मुख्य उद्देश्य आईसीसीआर और राज्य सरकार की सक्रिय भागीदारी से प्रदेश में संस्कृति और पर्यटन विषयक सुविधाओं के विकास एवं विस्तार सुदृढ़ अधोसंरचनाओं के निर्माण के साथ ही अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को विकसित करना है।
इस समझौते से विभिन्न देशों के प्रतिभागी कलाकारों की प्रस्तुति छत्तीसगढ़ राज्य में आयोजित होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक और पर्यटन से जुड़े कार्यक्रमों हो सकेगी। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य के कला समूहों की प्रदर्शनी, कला शिविरों, संगोष्ठी, सम्मेलन प्रदर्शनकारी कलाओं की कार्यशाला आदि का आयोजन विदेशों में आयोजित हो सकेंगे, इससे छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। बता दें, छत्तीसगढ़ की राजधानी में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव के दौरान विदेशों से आए नर्तक दलों को यहां आमंत्रित करने एवं आयोजन उपरांत उन्हें ससम्मान उनके देश वापसी करने में आईसीसीआर की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है।