आरक्षण मुद्दे पर आदिवासियों का हल्ला बोल प्रदर्शन, पढि़ए कैसे मचा बवाल

By : madhukar dubey, Last Updated : November 16, 2022 | 11:36 pm

छत्तीसगढ़। अब तो आर-पार होईबे, चलो भाई अब बहुत हुआ। सीएम हाउस घेरने के लिए चलो। फिर क्या था बूढ़ा तालाब के पास  गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले आरक्षण के मुद्दे पर धरना दे रहे आदिवासी निकल पड़े। इसके पूर्व वहां भाषण देने का दौर चला। जहां भूपेश सरकार को कोसते रहे। कहा कि आदिवासियों के साथ हर बार ये राजनीतिक पार्टियां धोखा ही देती हैं। जब भाषण खत्म हुआ तो आदिवासियों का मूवमेंट सीएम हाउस की ओर हो गया। फिर क्या था, एक पुलिस इन्हें रोकने के लिए बैरिकेटस लगा दिए। ये भी कहा अपने कदम रोकने वाले। इसके बाद जैसे सड़क मलयुद्ध का मैदान नजर आने लगा। धक्का-मुक्की और लाठी भांजने का दौर चला तो करीब 5 घंटे इसी में निकल गए। अंत फिर सभी नए सिरे से रायपुर आकर सीएम हाउस को भारी संख्या में घेरने का मसौदा बनाकार और खुली चुनौती देकर वापस लौट गए।

बोले, हर हाल में आरक्षण की पूर्ववत व्यवस्था चाहिए

इधर, गोंडवाना गणतंत्र के प्रदेश अध्यक्ष संजय कमरू ने कहा कि हर हाल में आरक्षण की पूर्ववत व्यवस्था चाहिए।३२ प्रतिशत आरक्षण को कम कर दिया गया। बुधवार को इसी वजह से यहां लोग आए, समाज में नाराजगी है। २०१२ में आरक्षण का हक मिला था। अब वर्तमान में ये आरक्षण कम कर दिया गया। कोर्ट में जो बात आरक्षण को लेकर रखी जानी चाहिए थी नहीं रखी गई और इसे गैर संवैधानिक घोषित किया गया। कहा कि इसकी वजह से जो बस्तर और सरगुजा संभाग में स्थानीय लोगों को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में प्राथमिकता मिलती थी। वो खत्म हो गई। अब उप चुनाव में इसका नतीजा दिखेगा। हम गांवों में जाकर लोगों को सब कुछ बताएंगे। ये आदिवासियों की जीवन से जुड़ी चीजें हैं। समाज के लोग समझ रहे हैं। २०२३ में भी भाजपा-कांग्रेस को सबक सिखाएंगे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद मचा आदिवासियों में रोष

बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर सुनावाई के बाद विवाद उपजा। पहले जो व्यवस्था थी उसके तहत प्रदेश में ५० प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण विशेष वर्गों को मिलने लगा था, इसे असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया गया। इसी वजह से आदिवासियों का आरक्षण ३२ प्रतिशत से घटकर २० प्रतिशत हो गया है। इसलिए आदिवासी समाज नाराज है। वैसे सूचना है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र १ और २ दिसंबर को बुलाया गया है। जहां प्रदेश सरकार इस पर पूर्ववत व्यवस्था बनाने के लिए विधेयक ला सकती है।