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कल थे वो ‘आवाम’ की आवाज! अब लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे!
छत्तीसगढ़। संघर्ष और आंदोलन की सियासी अग्निकुंड में तपे तपाए 3 महारथी को मोदी टीम ने एक सीएम ‘विष्णुदेव साय’ व दो डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा (Deputy CM Arun Sao and Vijay Sharma) के रूप में ताजपोशी की। क्योंकि जिस कांग्रेस सरकार (Congress government) में भूपेश के कामकाज का डंका मिडिया जगत में बज रहा था। ऐसे में BJP विधानसभा चुनाव से पूर्व 2018 की हार से उबरी नहीं थी। ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर छत्तीसगढ़ विधानसभा 2023 के मिशन में जुट गए। उन्होंने सभी 90 सीटों पर रिव्यू लेना शुरू किया। इसके बाद उन्हें लगा कि कांग्रेस को यहां हराया जा सकता है। कहा था, कांग्रेस की नीतियों और भ्रष्टाचार के चलते जनता अंदर ही अंदर सत्ता से मोह भंग हो चुका है। बस इसे गांठ बांधकर ओम माथुर और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जमीनी स्तर पर चुनावी चक्रव्यूह की रचना करने लगे। पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है कि कैसे बस्तर और सरगुजा को फोकस किया जाए।
- शीर्ष नेतृत्व की मोदी टीम की रणनीति को जनता के बीच धरातल स्तर पर उतारने की कमान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को मिली। उन्होंने ‘कांग्रेस की नीतियों और सरकारी योजनाओं’ में हो रही गड़बड़ी के अलावा जनता के हर वर्ग से जुड़े मुद्दे को लेकर कांग्रेस सरकार को घेरने में जुटे हुए थे। पूरे प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ धुंआधार बैठक और सम्मेलन करने लगे। इसमें सक्रिय कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ाया, वहीं सुस्त पड़े कार्यकर्ताओं को जगाने का काम किया। उनके इस मिशन को आगे बढ़ाने में कुछ ऐसे भी बीजेपी नेताओं के नाम है, जिन्होंने दिनरात एककर मिली जिम्मेदारियों को सामूहिकता के साथ निभाने में लग गए।
आइए जानते हैं ऐसे नाम जिन्होंने विधानसभा के चुनाव में अमूल्य योगदान दिया है। साथ ही मोदी की गारंटी को प्रचारित करने के साथ ही छत्तीसगढ़ की जनता में विश्वास पैदा किया कि यहां हम ही बनाए हैं, हम ही संवारेंगे।
आखिरकार, बीजेपी को प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत दिया। इसके बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम के चुनाव में एक हफ्ते का समय लिया। मुख्यमंत्री की रेस में कई नाम थे। लेकिन उनके याेगदान और पार्टी कार्यकर्ताओं की फीडबैक के साथ ही क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने में भी बीजेपी ने बाजी मार ली। बीजेपी मोदी के नारे सबका साथ, सबका विश्वास को चरितार्थ कर जनता को समझाने की कोशिश में सौ फीसदी सफल रही। आखिरकार वहीं, मीडिया के सर्वे के ठीक उलट भारी जीत जैसे हासिल की । वैसे ही चौंकाने वाले निर्णय लेते हुए छत्तीसगढ़ में एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का दांव चला। ताकि लोकसभा चुनाव में सभी सीटें जीती जा सके।
- इन सियासी मतलबों के अलावा बीजेपी ने प्रदेश को पहले आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में विष्णुदेव साय ताजपोशी कर ऐतिहासिक फैसला किया। इस निर्णय को पूरे प्रदेश की जनता में स्वर्फूत उत्साह और उमंग से भर दिया। क्योंकि अभी तक किसी भी राजनैतिक दल ने इतना बड़ा निर्णय नहीं लिया था। सरकारें आई और गईं लेकिन आदिवासी समाज से एक भी मुख्यमंत्री नहीं दे पाईं। ठीक इसी तर्ज पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और संगठन के पदाधिकारी विजय शर्मा को डिप्टी सीएम बनाकर कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया। जिसे सभी ने स्वीकार कर लिया है।
इनके चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस
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विष्णुदेव साय ने आदिवासी समुदाय में बीजेपी के प्रति भरोसा पैदा किया
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एक आदिवासी नेता के रूप में स्थापित चेहरा है। उन्होंने आदिवासी समुदाय की नाराजगी को दूर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया। यही वजह है कि और बस्तर और सरगुजा में बीजेपी को विधानसभा की सबसे ज्यादा सीटें मिली। उनकी शालीनता और सहजता की सभी तारिफ करते हैं। उनके कंधे पर मोदी की गारंटी को एक-एक कर लागू करने की जिम्मेदारी मिली है। पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष के रुप में विष्णुदेव साय बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। ऐसे में इसका भी बड़ा लाभ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिला।
अरुण साव अपनी आक्रामक रणनीति बनाने और धरातल पर उतारने में महारथी
- बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव अपनी आक्रामक रणनीति बनने और उसे धरातल स्तर पर उतारने के महारथी माने जाते हैं। उन्होंने पार्टी को अपने शीर्ष नेतृत्व की रणनीति और खुद की तैयारी के मिश्रण से सियासी जंग लड़ी। उस दौरान उन्होंने बिना हारे-थके जोश और विश्वास के साथ कार्यकर्ताओं के बीच गए। इसके अलावा वे सार्वजनिक मंच और सोशल मीडिया के माध्यम से बारबर एक रूटिन वर्क के नजरीए से जनता से रूबरू होते रहे। कांग्रेस सरकार की हर एक खामी का विश्लेषण कर घेरने का काम करते रहे। इसके अलावा साजा में ईश्वर साहू को विधायक का टिकट दिलाया। जिन्होंने भारी मतों से कांग्रेस के कद्दावर मंत्री रविंद्र चौबे को हराया। ईश्वर साहू के बेटे की हत्या हो गई थी। इनके उम्मीदवार बनने से साहू समाज का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण हो गया।
विजय शर्मा ने पीएम आवास के मुद्दे पर पूरे प्रदेश में आंदोलन खड़ा करने में भूमिका निभाई
- अपने प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में विजय शर्मा भी सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की तरह चुनावी जंग में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन इस सब के बावजूद 18 लाख गरीबों के पीएम आवास रोकने जैसे मुद्दे पर वे कांग्रेस पर हमलावार रहे। उन्होंने सबसे पहले पीएम आवास के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बीजेपी की आईटी टीम के साथ जंग छेड़ा, जो बाद में बीजेपी के जनघोषणा पत्र में पीएम आवास का मुद्दा शामिल हुआ। विजय शर्मा गांव-गांव ऐसे गरीब जिनकी पीएम आवास की किश्त रूक गई थी। उनसे मिले, इनके अलावा बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर सभी 90 विधानसभा सीटों पर आंदोलन छेड़ा। आखिरकार यह संदेश जनता के बीच गया कि भूपेश सरकार मोदी की हर योजना का लाभ प्रदेश की जनता को नहीं देना चाहती है। इतना ही नहीं, कवर्धा विधानसभा जो कभी कांग्रेस के कद्दावार मंत्री मोहम्मद अकबर को भारी मतों से हरा दिए।
बीजेपी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने एकजुटता के लड़ी चुनावी जंग
ये तो सच है कि रणनीतिकारों के अलावा भी बीजेपी में पर्दे के पीछे भी ऐसे नाम हैं। जिन्होंने पूरी एकजूटता के साथ चुनावी जंग लड़ी। यही वजह भी थी, मोदी के गारंटी को घर-घर पहुंचाने में सफल रहे। इसमें बीजेपी की सोशल मीडिया और आईटी टीम का भी बड़ा योगदान रहा। इन सब के बावजूद पूरे प्रदेश में पीएम मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी के उठ रहे मुद्दे के मिश्रण से जीत राह आसान हुई।
इसके अलावा बीजेपी के दिग्गज, जैसे पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, ओपी चौधरी, केदार कश्यप, धरमलाल कौशिक,अमर अग्रवाल सहित सभी पदाधिकारी कांग्रेस सरकार को सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर घेरते रहे।
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