रायपुर। जिस तरीके से कांग्रेस और इसके इंडी गठबंधन (Indie alliance) के नेता मीडिया और सर्वे एजेंसियों के एक्जिट पोल (Exit poll) के नतीजे पर बौखला गए हैं। इनके नेता मीडिया के रिपोर्टस को झूठ और मोदी समर्थित एक्जिट पोल बता रहे हैं। लेकिन हकीकत है कि 2019 में एक्सीस माय इंडिया के सर्वे रिपोर्ट लगभग 96 प्रतिशत से अधिक सही साबित हो चुके हैं। इन सबके बावजूद एक्जिट पोल पर कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता सवाल उठा रहे हैं।
क्या देश की 140 करोड़ की जनता के मतदान को नाकारने के क्या मायने हो सकते हैं। इन तरह के बयान कोई नए नहीं है, वैसे भी ईवीएम पर 2014 से ही कांग्रेस और उसके सहयोगी दल लगाते रहे हैं। यही कारण है कि उन्हें कभी जनता के सोच को नहीं समझ सके। क्योंकि अब वक्त बदल गया है कि लोग परिवारवाद और भ्रष्ट नेताओं से भरी पार्टियों को नहीं चुनेंगे। क्योंकि जनता ने मोदी के 10 साल के कामकाज को अपना समर्थन दिया है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि पीएम मोदी की जनकल्याणकारी योजनाएं हैं। जिनसे आज हर देशवासी आत्मनिर्भर बना है। साथ ही देश पांचवीं अर्थव्यवस्था से 2029 तक तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर मोदी के नेतृत्व में अग्रसर होने जा रहा है। विकास के पायदान में आज भारत की विकास दर विश्व में सबसे अधिक है।
लेकिन इन सब बातों से कांग्रेस और इंडी गठबंधन आत्मसात करने को तैयार नहीं है। उन्हें संविधान और लोकतंत्र खतरे में हैं, एेसा नारा दिया गया है लेकिन जनता ने ठीक उसके उलट समझा कि लोकतंत्र नहीं मोदी के विपक्ष नेता को खतरा है। खतरा है इनके परिवारवाद की परिपाटी की। खतरा है कि भ्रष्टाचारी नेताओं के जेल में जाने का। क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने जब यह कहा कि आप अगर भाजपा को वोट को देंगे तो हम जेल चले जाएंगे। यही उनकी लाइन से जनता में संदेश गया कि मोदी का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी है। और गारंटी दी है कि सभी भ्रष्टाचारी जेल जाएंगे। इसके अलावा जिस कांग्रेस के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के साथ आंदोलन कर अरविंद केजरीवाल ने सता पाई, आज उसी के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पंजाब में अलग-अलग हैं, यानी एक जगह दोस्ती तो दूसरी जगह प्रतिद्वंदी। राजनीति के पैंतरे को अब देश की जनता बखूबी समझती है। यही वजह है कि सारे एक्जिट पोल में एनडीए भारी बहुमत के साथ मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाती दिख रही है।
इसे पचा पाने में इंडी गठबंधन खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रही है, जबकि अभी एक्जिट पोल ही है। अगर इसके आंकड़े सच साबित हुए तो इंडी गठबंधन चुनाव आयोग और ईवीएम पर दोषारोपण के साथ विरोध कर सकती है। क्योंकि आज ही राहुल गांधी ने एक्जिट पोल को नाकारते हुए मूसावाला सिद्धू के गाने के बाहने 295 सीट पाने का दावा किया है। इधर कांग्रेस की सुप्रीया श्रीनेत सोशल मीडिया पर खटा-खट एक्जिट पोल पर वार करती दिख रही है। अब देखने वाली बात होगी कि चुनाव के बाद मोदी जहां 5 साल तक देश का नेतृत्व करेंगे तो दूसरी ओर कांग्रेस और इंडी गठबंधन 5 साल पर ईवीएम और चुनाव आयोग सवाल उठाती रह सकती है, ऐसे में फिर 2029 में देश के सामने एक गंभीर राजनीतिक चेहरे के बिना चुनाव लड़ने की नौबत आ सकती है।
कांग्रेस और इंडी गठबंधन द्वारा बार-बार आस्था और धर्म पर सवाल खड़ा करते हुए भाजपा को घेरना और मोदी के सांतवे चरण के प्रचार के बाद विवेकानंद राक मेमोरियल में ध्यान योग पर इंडी गठबंधन की टिप्पणी करने से अंतिम चरण की सीटों पर मोदी के पक्ष में और प्रचंड मतदान हुआ है। अगर देखा जाए तो इंडी गठबंधन दल के नेता खुद एनडीए को बढ़त दिलाने का काम किया है। इसे राजनीतिक जानकार सही ठहराते हुए कहते हैं कि मोदी की छवि जनता के बीच एक राजनीतिक व्यक्ति नहीं बल्कि देश के मान और सम्मान को बढ़ने वाले नायक के रूप में हो चुकी है। ऐसे में जितना भी मोदी का विरोध विपक्ष ने किया और पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके एक-एक आरोप और बयानों को ऐसा काउंटर किया कि इंडी गठबंधन के नेता भी चौंक उठे और देश की जनता के लिए एक बार फिर माेदी जी महानायक की भूमिका में उभरे हैं।
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