रायपुर। भूपेश के चेहरे पर चुनावी जंग में कांग्रेस के तिलिस्म को BJP तोड़ चुकी है। अब छत्तीसगढ़ के प्रदेश की जनता को नए सीएम का इंतजार है। इन कायसों के दौर के बीच एक ‘नई चर्चा और बहस छिड़ गई है। सूत्रों के हवाले से एक बड़ा खुलासा हुआ है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के करीबी रहे और उनके प्रमुख सचिव रहे पूर्व आईएएस अमन सिंह (IAS Aman Singh) की बीते चुनाव में सियासी पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका थी। इससे सियासत के गलियारे में चर्चा है कि अमन सिंह विधानसभा चुनाव से 1 साल पूर्व ही छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जमीनी हकीकत का आंकलन करने के मिशन में जुट गए थे। माना जा रहा है कि उन्होंने विधानसभा की 90 सीटों पर बीजेपी की राजनीतिक जमीन के सर्वे कर रहे थे। इसके साथ ही भूपेश सरकार (Bhupesh Sarkar) को घेरने के ज्वलंत मुद्दे जो एंटीकंबैंसी बन सके, इसके लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को जुटाया। इसकी एक रिपोर्ट बीजेपी के शीर्ष नेताओं को फीड दिए।
अगर चर्चाओं पर विश्वास करें तो, अमन सिंह के रिपोर्ट पर कहीं न कहीं वो इनपुट भी जनघोषणा पत्र में शामिल किए गए। जिससे कांग्रेस के बैकफुट पर लाया जा सकता था। इसके अलावा अमन सिंह की फीड बैठ पर बीजेपी ने क्षेत्रीय स्मीकरण भी तैयार किए। वैसे इसकी पुष्टि तो नहीं की जा सकती है लेकिन सूत्रों के मुताबिक अमन सिंह के फीड बैक पर भूपेश सरकार को सत्ता से बेदखल करने की जंग लड़ी गई। लेकिन इन सबके बावजूद मोदी की गारंटी की खुराक ने मोदी लहर पैदा कर दी, जिससे कांग्रेस के सत्ता के तंबू उखड़ गया।
गौरतलब है कि यहां छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल के दम पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा। जिसमें लोगों ने इन फैक्टर पर विश्वास किया और बीजेपी को सारे एग्जिट रिपोर्ट और सर्वे को दरकिनार करते हुए भारी बहुमत दिया। जो अब तक के बीजेपी ने सभी विधानसभा चुनाव से ज्यादा सीटें हासिल की। लेकिन इन सबके के बावजूद चर्चा है कि अमन सिंह के फीड बैक पर बीजेपी की चुनावी लड़ाई लड़ी गई।
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