मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आखिर तीन साल बाद यूथ कांग्रेस के कार्यक्रम में कोको पाढ़ी का जिक्र करने की जरूरत क्यों पड़ी?
By : madhukar dubey, Last Updated : November 22, 2022 | 9:13 pm
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद बस्तर अंचल के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आखिर कोको पाढ़ी ने तात्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रहते भूपेश बघेल द्वारा दिये गए भानूप्रतापपुर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से उन्होंने क्यों मना कर दिया था। बता दें कि यह घटना दिसंबर साल 2014 का है, जिसके ठीक तीन माह पहले अंतागढ़ विधानसभा के उपचुनाव में मंतुराम पवार द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नाम वापसी की घटना हुई थी और पूरे अंचल में कांग्रेस को लेकर लोगों के बीच आक्रोश का माहौल था। तब कोको पाढ़ी युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अस्थाई तौर पर कार्य करते हुए युवा कांग्रेस कांकेर लोक सभा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे, निश्चित तौर पर भूपेश बघेल ने यह पेशकश की थी, परन्तु कोको पाढ़ी चाहते थे कि वे अपने आपको एक नगर पंचायत तक सीमित न रख कर वृहद रूप में पार्टी के लिए काम करें। इसलिए कि 2018 में विधान सभा का चुनौतीपूर्ण चुनाव होना था और वे पूरे बस्तर के सभी विधान सभा के लिए काम करना चाहते थे।
कोको पाढ़ी की यही सोच इस बात को लेकर उन्हें मजबूर किया कि वे अपने भाई को नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उतारें।इसलिए कि यहां और कोई प्रत्याशी नहीं था जो चुनाव लड़ने का इच्छुक था। बताया जाता है कि तब कांग्रेस के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं और भाजपा प्रत्याशी के धन-बल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी और कोको के भाई बबला पाढ़ी महज 1200 वोट से चुनाव हार गए। इस बीच कोको पाढ़ी पूरे बस्तर में अपनी सक्रियता बढ़ाने प्रयास तेज कर दिए। विधान सभावार कांग्रेस को मजबूत करने लगातार दौरे कर लोगों से जनसंपर्क शुरू कर दिया। समय के साथ बस्तर का माहौल कांग्रेस के पक्ष में होते चला गया। देखते-देखते विधान सभा चुनाव 2018 का समय भी आ गया और कोको पाढ़ी की मेहनत रंग लाई एवं युवाओं के सामूहिक प्रयास से पूरे बस्तर में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई। तभी कोको पाढ़ी ने तय कर लिया था कि अब भानूप्रतापपुर के नगर पंचायत का चुनाव भी वे जीतकर रहेंगे और हुआ भी यही, जब 2019 में चुनाव हुआ तो वही उनका भाई बबला पाढ़ी उस भाजपा प्रत्याशी को चुनाव में हराया जो 2014 में जीत हासिल किया था। इस तरह से हारी हुई सीट को जीत में परिवर्तित कर वर्तमान में उनका भाई अध्यक्ष के पद पर पिछले 5 वर्षों से आसीन है।
कोको पाढ़ी की युवा कांग्रेस में इसी सक्रियता को देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व प्रभावित हुआ और जब उमेश पटेल को भूपेश सरकार में केबिनेट मंत्री बनाया गया तो उनके स्थान पर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी कोको पाढ़ी को सौंपी गई। कोको पाढ़ी इस बीच पूरे तीन साल तक अपने पद पर रहते हुए पूरे प्रदेश में लगातार दौरा और बैठकें आयोजित कर शहर से दूर ग्रामीण अंचल तक युवा कांग्रेस को ले जाने सफल रहे। उन्हीं के कार्यकाल में युवक कांग्रेस की सदस्यता अभियान भी शीर्ष पर रही। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े आयोजन कर युवा कांग्रेस को संगठन के मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया। दिल्ली की तर्ज पर इंदिरा प्रदर्शनी का आयोजन कर इंदिरा गांधी के अतीत को वर्तमान में प्रदर्शित करने अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब तक कोको पाढ़ी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, इनके किसी कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हुये। यह प्रश्न आज भी सोचनीय है कि उन्हें कोको पाढ़ी से किस बात की नाराजगी थी, जबकि दोनों पार्टी की मजबूती के लिए काम करते हैं।
हमारे नेता श्री राहुल गांधी जी की तपस्या से प्रेरणा लेते हुए छत्तीसगढ़ की युवा शक्ति का #BharatJodoYuvaSankalp @RahulGandhi pic.twitter.com/IHPbNOTVxu
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 21, 2022