रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विष्णुदेव साय सरकार,(Vishnudev Sai Sarkar) पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक बड़े फैसले को पलटने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार ने मेयर और नगर पालिका अध्यक्षों के चुनाव प्रक्रिया(Election process of mayors and municipal presidents) को लेकर एक नया अध्यादेश तैयार किया है, जिसे दो दिसंबर को कैबिनेट बैठक में पेश किया जा सकता है। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में मेयर और नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें पार्षद अपने बीच से मेयर और अध्यक्ष का चयन करते हैं। लेकिन सरकार इस प्रक्रिया को बदलकर जनता के सीधे मतदान से मेयर और अध्यक्ष के चुनाव कराने का फैसला कर सकती है।
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से राज्य में मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता था। जनता अपने वोट से सीधे मेयर का चुनाव करती थी। 2018 में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस प्रक्रिया को बदलते हुए इसे अप्रत्यक्ष बना दिया था। अब बीजेपी सरकार इसे फिर से प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था में लौटाने की योजना बना रही है।
सूत्रों के अनुसार, अध्यादेश का मसौदा तैयार है और इसे अगली कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद इसे राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा, जिसके बाद नई व्यवस्था लागू हो जाएगी।
राज्य सरकार के समक्ष छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट भी पेश की गई है। आयोग ने निकाय चुनावों में आरक्षण नीति से संबंधित अनुशंसाएं दी हैं, जिसमें महापौर, अध्यक्ष और पार्षद के लिए 25त्न आरक्षण सीमा को हटाने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, आरक्षण 50त्न की सीमा से अधिक नहीं होगा।
डेप्युटी सीएम अरुण साव ने कहा कि निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर सरकार शीघ्र निर्णय लेगी। चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में है और सरकार का लक्ष्य समय पर चुनाव कराना है।
राज्य में कुल 189 नगरीय निकाय हैं, जिनमें 123 नगर पंचायत, 52 नगर पालिका परिषद और 14 नगर निगम शामिल हैं। सरकार का प्रयास है कि नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएं, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया में सरलता आए।
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