वाह! गजब थी ‘पूर्व सरपंचाें’ की टोली ! करोड़ों कर गए ‘हजम’ अब उगलेंगे माल-पानी

छत्तीसगढ़ में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव हो चुके हैं। ऐसे में पुराने सरपंचों के काम की कलई भी खुलने लगी है। कई पंचायतों में वित्तीय अनियमितता

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  • Updated On - March 10, 2025 / 02:23 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव (Three-tier panchayat elections in Chhattisgarh) हो चुके हैं। ऐसे में पुराने सरपंचों के काम की कलई भी खुलने लगी है। कई पंचायतों में वित्तीय अनियमितता के अंतर्गत दस्तावेजों की अनुपलब्धता, बिना मूल्यांकन के भुगतान, अपूर्ण वित्तीय दस्तावेज, कार्यों में क्षति और पौधरोपण जैसे कार्यों में लापरवाही के मामले शामिल हैं। वर्ष 2023-24 में 4,089 प्रकरणों में 85.64 करोड़ रुपए की अनियमितता दर्ज की गई, जो एक बड़ी राशि है। हालांकि वर्ष 2024-25 में यह संख्या घटकर 15 प्रकरणों तक सीमित रही, जिसमें 15.67 लाख रुपए का नुकसान हुआ। यह कमी सकारात्मक संकेत हो सकती है, लेकिन अभी भी पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के पहले सरपंच पद पर कायम थे, उन्होंने जाते-जाते जमकर हेराफेरी की और पंचायतों की रकम पर बट्टा लगा दिया। सरकारी खजाने को चूना लगा दिया। इस चुनाव के पहले जो सरपंच पद पर कायम थे, उन्होंने जाते-जाते जमकर हेराफेरी की और पंचायतों की रकम पर बट्टा लगा दिया। पिछले साल जनवरी से दिसंबर के बीच करीब पौने चार करोड़ रुपए का गबन हुआ। लाखों रुपए की वित्तीय अनियमितताएं और नियम-कायदों को दरकिनार कर सरकारी खजाने को चूना लगा दिया।

  • पंचायतों में सोशल ऑडिट से ये गड़बड़ियां सामने आईं हैं। इन घपलेबाजों से राशि वसूली गई और आगे भी वसूली होनी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सामाजिक अंकेक्षण के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें ग्रामीण विकास योजनाओं में बड़े पैमाने पर वित्तीय गबन, अनियमितताओं, प्रक्रिया उल्लंघन और शिकायतों के मामले उजागर हुए हैं। यह खुलासा वर्ष 2023-24 और 2024-25 (26 दिसंबर 2024 तक) के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें पंचायत स्तर पर संचालित योजनाओं में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें दिखाई देती हैं।

वित्तीय गबन और फर्जीवाड़े

सामाजिक अंकेक्षण के दौरान वित्तीय गबन के तहत फर्जी उपस्थिति, फर्जी कार्य, फर्जी नाम और फर्जी सामग्री बिल जैसे मामले सामने आए हैं। वर्ष 2023-24 में 3954 प्रकरण दर्ज किए गए, जिनमें 12.12 करोड़ रुपए से अधिक का गबन (Embezzlement of more than Rs 12.12 crore) हुआ। वहीं वर्ष 2024-25 में 26 दिसंबर तक 1418 प्रकरणों में 3.68 करोड़ रुपए की अनियमितता पाई गई। यह दर्शाता है कि पंचायत स्तर पर फर्जी दस्तावेजों और कागजी कार्यों के जरिए सरकारी धन को हड़पने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ग्रामीण विकास के नाम पर बनी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचने के बजाय कुछ भ्रष्ट तत्वों की जेब में जा रहा है।

जनता ने की थी शिकायत लेकिन जांच नहीं

सोशल ऑडिट के दौरान शिकायतों में रोजगार न मिलना, जॉब कार्ड पंजीकरण में देरी, बैंक खाता न खोलना, बेरोजगारी भत्ता न देना और कार्यस्थल पर सुविधाओं का अभाव जैसे मुद्दे शामिल हैं। वर्ष 2023-24 में 2,690 प्रकरणों में 8.31 करोड़ रुपए की राशि प्रभावित हुई, जबकि वर्ष 2024-25 में 63 प्रकरणों में मात्र 5967 रुपए का मामला दर्ज हुआ। यह कमी शिकायत निवारण में सुधार का संकेत दे सकती है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर लोगों की समस्याएं अभी भी पूरी तरह हल नहीं हुई हैं। सामाजिक अंकेक्षण के ये आंकड़े दशति हैं कि पंचायत स्तर पर पंच परमेश्वर कहे जाने वाले जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे हैं। करोडों रुपए का गबन और अनियमितताएं ग्रामीण विकास की राह में बड़ी बाधा बन रही हैं।

प्रक्रिया का उल्लंघन

प्रक्रिया उल्लंघन के तहत दस्तावेजों का संधारण न करना, सूचना बोर्ड न लगाना, जॉब कार्ड अपडेट न करना और एमआईएस प्रविष्टि में चूक जैसे मामले शामिल हैं। वर्ष 2023-24 में 10,000 प्रकरणों में 10.94 करोड़ रुपए की हानि हुई, जो इस श्रेणी में सबसे अधिक प्रकरणों को दर्शाती है। वहीं वर्ष 2024-25 में 167 प्रकरणों में 31.83 लाख रुपए का नुकसान हुआ। यह स्पष्ट करता है कि प्रशासनिक स्तर पर नियमों की अनदेखी और लापरवाही के कारण योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

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