गोबर के उत्पाद से महिलाओं ने बजाया हुनर का डंका, दूसरे राज्यों से मिल रहे आर्डर

यहां की महिलाओं ने गजब का कारनामा कर दिखाया। इन ग्रामीण अंचल की महिलाओं को सरकार ने गौठानों से जोड़ा तो इन्होंने बिना मौका गंवाये। एक नवाचार ही कर डाला। अब तक ये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन में ही लगीं थीं। लेकिन इधर बीते एक सालों में इन्होंने मिलकर गोबर के उत्पादों को तैयार करना शुरू कर दिया।

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  • Updated On - December 29, 2022 / 10:44 AM IST

गौठानों में संवर रही महिलाओं की जिंदगी, फ्लोटिंग दीपक, मोबाइल स्टैंड, गुल्लक मटकी बना रहीं

छत्तीसगढ़। यहां की महिलाओं ने गजब का कारनामा कर दिखाया। इन ग्रामीण अंचल की महिलाओं को सरकार ने गौठानों से जोड़ा तो इन्होंने बिना मौका गंवाये। एक नवाचार ही कर डाला। अब तक ये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन में ही लगीं थीं। लेकिन इधर बीते एक सालों में इन्होंने मिलकर गोबर के उत्पादों को तैयार करना शुरू कर दिया। गोबर से कई घरेलू और सजावटी समान भी तैयार किए जा रहे हैं। महिला समूहों द्वारा इस दीवाली में घरों को रोशन करने गोबर से बनी हुई फ्यूजन दीप के अलावा गोबर से फ्लोटिंग दीया, बंदनवार, मोबाईल स्टैंड, हैंगिंग शो-पीस जैसी कई सजावटी उत्पाद बनाया जा रहा है। इन वस्तुओं की पुणे और नोएडा जैसे शहरों से लगातार मांग आ रही है।

8 हजार गांवों में स्वय सहायता समूह की चल रही आर्थिक गतिविधियां

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के लगभग 8 हजार गांवों में बनाए गए गोठानों में अनेक महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इन समूहों द्वारा गोबर व मिट्टी से कई घरेलू उपयोगी सजावटी समान बनाएं जा रहे हैं। दुर्ग, जशपुर, जांजगीर-चांपा जिले के साथ ही नवगठित सक्ती जिले के अकलतरा और पामगढ़ क्षेत्रों में भी महिलाओं द्वारा अनेक सजावटी और घरेलू उपयोग की वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी मिल रही है। आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर महिलाएं घरेलू काम-काज के साथ-साथ परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजूबत कर रहे हैं।

गोबर के उत्पादों के 50 हजार रुपये से अधिक के आर्डर मिले हैं

अकलतरा विकासखण्ड के ग्राम कोटमी सोनार की शुभ महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं मिट्टी के दीये, गुल्लक व मटकी बनाकर अब तक ३० हजार रूपए की सामग्री बिक्री कर चुकी हैं। वहीं बम्हनीडीह और पामगढ़ की महिला समूहों ने भी १५ हजार रूपए से अधिक राशि की बिक्री कर चुकी हैं। नवगठित जिला सक्ती के जनपद पंचायत डभरा की स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी मिट्टी के दीये, गुल्लक, मटकी व सजावटी समान बनाकर हो रही हैं आर्थिक रूप से सशक्त। इसी प्रकार जशपुर जिले के दुलदुला जनपद पंचायत एवं कुनकुरी विकासखण्ड के महिला स्व-सहायता समूह द्वारा भी गोबर से दीया निर्माण कर ३० हजार रूपए से भी अधिक की आमदनी कर चुके हैं।

तैयार फ्यूजन दीप रंगोली की पुणे और नोएडा जैसे बड़े शहरों में है अधिक मांग

समूह की अध्यक्ष नीधि चंद्राकर ने बताया कि समूह के उत्पादों की देश के विभिन्न राज्यों के बड़े शहर नोएडा और पुणे में इस उत्पाद की अच्छी मांग है। उन्होंने बताया कि समूह के द्वारा बनाए गए उत्पाद छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य हिस्सों में विक्रय हेतु भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा बड़े शहरों में रंगोली बनाने के लिए जगह का अभाव होता है इसलिए हमने ऐसी रंगोली बनाई है, जिसे आप घर के दरवाजे, टेबल या आंगन पर रख सकते हैं। रंगोली में गोबर से बने दीये भी लगे हैं, जिससे इसकी खुबसूरती में चार-चांद लग जाते हैं।

कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने कहा महिलाओं की मेहनत लाई रंग

दुर्ग जिले के भिलाई में स्थित उड़ान नई दिशा समूह की महिलाओं ने कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने कहा कि समूह की महिलाओं ने अन्य सजावटी उत्पाद तैयार की हैं जो गुणवत्ता, सुंदरता और हर मायने में उत्कृष्ट हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता में मेहनत कर और एकजुट होकर समूह की महिलाओं ने कमाल की चीजें बनाई हैं, यह बाजार की जरूरतों को पूरा करने एवं अपनी गुणवत्ता से आकर्षित करने उपयोगी साबित होंगी।