मछली पालन के व्यवसाय में सफलता के झंडे फहरा रहीं छत्तीसगढ़ की महिलाएं, जानिए कैसे खुली इनकी किस्मत

कहते हैं कि मन में हौंसला हो तो राहों में चाहे कितनी भी दुश्ववारियां हो लेकिन सफलता एक दिन कदम चूमती है। आज आधुनिकता के दौर में खास तौर आदवासी प्रधान प्रदेश छत्तीसगढ़ है।

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  • Publish Date - November 6, 2022 / 11:16 AM IST

सरकार की बिहान योजना से जुड़कर गैर कृषि कार्यों में महिलाएं हो रहीं आर्थिक रूप से सशक्त

छत्तीसगढ़/रायपुर। कहते हैं कि मन में हौंसला हो तो राहों में चाहे कितनी भी दुश्ववारियां हो लेकिन सफलता एक दिन कदम चूमती है। आज आधुनिकता के दौर में खास तौर आदवासी प्रधान प्रदेश छत्तीसगढ़ है। यहां के आदिवासी इलाकाें में एक समय था कि वहां विकास की किरणें नहीं पहुंच सकी थी। लेकिन इधर बीते कुछ सालों में सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना राज्य ग्रामीण अाजीविका मिशन जिसे बिहान के नाम से जाना जाता है। इससे गैर कृषि व्यवसाय के लिए मिलने वाली मदद खास तौर पर महिलाओं के स्वंय सहायता समूह को एक संजीवनी देना का काम किया है। नतीजा अब आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रहीं हैं। वैसे तो बहुत से सारे गैर कृषि व्यवसाय हैं, जिसके जरिये महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं है।

11 महिलाओं की किस्मत चांदनी समूह से बदली

आइए ऐसी एक कहानी बताते हैं छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले विकासखंड बिल्हा के ग्राम पंचायत रहंगी। जहां की महिलाएं महिलाएं समूह से जुड़कर सफलता की नयी कहानियां लिख रही है। यह सब बिहान के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत महिलाओं एवं युवतियों को समूह में गठित कर उन्हें स्व रोजगार से जोड़ेने से संभव हो पा रहा है। बिहान के माध्यम से जिला बिलासपुर, विकासखंड बिल्हा के ग्राम पंचायत रहंगी की चांदनी महिला स्वयं सहायता समूह के 11 सदस्यों ने मछली पालन व्यवसाय से २ लाख रुपये की आमदनी प्राप्त कर चुकी है। समूह की इन दीदियों का परिवार व्यक्तिगत रूप से कृषि एवं गैर कृषि कार्य में लगे हुए हैं। योजना से जुड़ने के बाद इन्हें अतिरिक्त आय का साधन मिल गया है। समाज में भी उनका मान अब बढ़ गया है।

मछली पालन कर अब कमा रहीं हैं 2 लाख रुपये महीना

11 सदस्यों ने मछली पालन व्यवसाय से २ लाख रूपए की आमदनी प्राप्त कर चुकी है गौरतलब है कि राज्य सरकार त्रि-स्तरीय पंचायतों में बिहान की सहायता से महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इसका सार्थक परिणाम भी मिल रहा है। बिहान योजना के तहत समूह को मिलने वाले वित्तीय सहायता एवं लाभ ने इस समूह की दीदियों को अधिक प्रभावित किया। सभी ने मिलकर स्वयं सहायता समूह का गठन करने एवं इसके माध्यम से मिलने वाले वित्तीय सहायता एवं लाभ लेकर आर्थिक रूप से अपने परिवार को मजबूत बनाने का निर्णय लिया।

अंजली और मीना की समझदारी आई काम, जानें कैसे बढ़ीं आगे

समूह की अध्यक्ष अंजली श्रीवास एवं सचिव मीना ध्रुव की समझदारी काम आई। इनके प्रसास से बिहान योजना से जुड़ने बाद समूह की सभी दीदियों को बिहान योजना के तहत 15 हजार रुपये मिले। इसके एक वर्ष के बाद समूह को सामुदायिक निवेश कोष की राशि 60 हजार प्राप्त हुए। इस राशि का उपयोग करते हुए समूह की दो दीदियों ने अपने परिवार की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किराना दुकान और बाड़ी विकास का कार्य प्रारंभ किया। समूह ने ग्राम में ही बने तालाब में सामूहिक रूप से मछली पालन करने की योजना बनाई एवं इस हेतु आवेदन दिया। इसके अलावा समूह की दीदियां ने अपने आय के साधन बढाने के लिए विकासखंड परियोजना प्रबंधन इकाई की टीम की मदद से बैंक में लोन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया।

50 हजार रुपये मिली सरकारी सहायता

जिससे समूह को लोन के रूप में बैंक से 50 हजार रुपये की सहायता राशि प्राप्त हुई। इस राशि में से 17 हजार रुपये की राशि का उपयोग करते हुए समूह ने मछली पालन का कार्य प्रारंभ किया। समूह की दीदियों को मछली पालन का कार्य करते हुए तीन वर्ष से अधिक हो चुका है दीदीयों को इस कार्य से अच्छी आमदनी भी प्राप्त हो रही है। इस कार्य से समूह को अब तक 2 लाख 9 हजार रुपये आय प्राप्त हुई है। जिससे सभी समूह की दीदियां काफी उत्साहित है। चांदनी महिला स्वयं सहायता समूह की सभी दीदियों ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना से जुड़कर गांव की अन्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनने प्रेरित कर रहीं हैं।