नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। एक्शन, ड्रामा और रोमांस, ये शब्द सुनते ही सबसे पहला ख्याल फिल्मों का आता है। अगर एक ही फिल्म में इन तीनों का कॉम्बिनेशन डाल दें तो बनती है एक मसाला फिल्म, जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने के लिए काफी है। आज हम एक ऐसे शख्स की बात कर रहे हैं, जिसने न सिर्फ फिल्मी पर्दे पर सफलता के झंडे गाड़े बल्कि राजनीति की पिच पर भी धुआंधार पारी खेली। साउथ फिल्म इंडिस्ट्री के मेगास्टार चिरंजीवी (Chiranjeevi) गुरुवार को अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं।
कोनिडेला चिरंजीवी ने लगभग 23 साल की उम्र में बतौर एक्टर शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म पुनाधिरल्लू (1978) थी। वह साउथ फिल्मों के पहले एक्टर थे, जिन्होंने 90 के दशक में एक फिल्म के लिए 1.25 करोड़ रुपये फीस चार्ज की। उन्होंने अमिताभ बच्चन को भी पीछे छोड़ दिया था।
‘इंद्रा द टाइगर’ हो या ‘शंकर दादा’ या फिर ‘आज का गुंडा राज’ इन फिल्मों को लिए चिरंजीवी को दर्शकों का काफी प्यार मिला। लेखक और पत्रकार यू विनायक राव की किताब “मेगास्टार: द लीजेंड” चिरंजीवी के शानदार फिल्मी सफर को बयां करती है। इसमें उनके संघर्ष से सफलता के जीवन को बयां किया गया है।
चिरंजीवी दक्षिण भारतीय फिल्मों के इकलौते स्टार हैं, जिन्हें 1987 में अकादमी पुरस्कार में इनवाइट किया गया था। यही नहीं, उनकी ‘कोडमा सिमहम’ पहली दक्षिण भारतीय फिल्म थी, जिसे अंग्रेजी में भी डब किया गया था। उन्होंने अपने फिल्मी करियर के दौरान सिंगल, डबल और ट्रिपल कैरेक्टर भी किए।
उनकी फिल्मों का क्रेज ऐसा होता था कि दक्षिण भारत में सिनेमाघरों के बाहर दर्शकों की लाइन लग जाती थी। उनकी सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर 100 दिन से अधिक समय तक चलती थी और इसका बड़े लेवल पर जश्न भी मनाया जाता था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चिरंजीवी ने एक साल में 14 हिट फिल्में देकर इतिहास रच दिया था।
चिरंजीवी ने तेलुगू के अलावा तमिल, कन्नड़ और बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया। चिरंजीवी को सात बार दक्षिण भारतीय फिल्मफेयर अवॉर्ड और चार बार नंदी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
बड़े पर्दे पर सफलता के झंडे गाड़ने के बाद उन्होंने राजनीति में भी एंट्री की। उन्होंने साल 2008 में ‘प्रजा राज्यम पार्टी’ बनाई। उनकी पार्टी ने 2009 में आंध्र प्रदेश में चुनाव भी लड़ा। उतने सफल नहीं रहे जितने फिल्मों में रहे। इनकी पार्टी ने 18 सीटें जीती। बाद में उनके दल का कांग्रेस में विलय हो गया। वह यूपीए-2 की सरकार में केंद्रीय पर्यटन मंत्री भी रहे।