नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने आखिरकार उस विवाद पर चुप्पी तोड़ी है, जिसमें उन्हें फिल्मों स्पिरिट और कल्कि 2898 एडी के सीक्वल से बाहर किए जाने की बात सामने आई थी। यह विवाद उनके 8 घंटे की शूटिंग शिफ्ट की मांग को लेकर था, जिसे लेकर प्रोड्यूसर्स से मतभेद हो गए।
सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत में दीपिका ने कहा कि जब महिला कलाकार 8 घंटे की शिफ्ट की मांग करती है, तो उसे “जिद्दी” या “मुश्किल” बताया जाता है, जबकि इंडस्ट्री के कई बड़े पुरुष सितारे सालों से यही करते आ रहे हैं और उस पर कभी चर्चा तक नहीं होती।
दीपिका ने कहा कि वे किसी का नाम नहीं लेना चाहतीं, लेकिन यह सबको पता है कि बहुत सारे मेल एक्टर्स सोमवार से शुक्रवार तक सिर्फ 8 घंटे ही काम करते हैं और वीकेंड पर बिल्कुल नहीं। फिर भी कभी यह मुद्दा नहीं बनता।
उन्होंने बॉलीवुड के “चलता है” रवैये पर भी सवाल उठाया और कहा कि इंडस्ट्री कभी प्रोफेशनल ढंग से काम नहीं करती। उन्होंने कहा कि काम के लंबे घंटे, असुविधाजनक माहौल और खाने जैसी बुनियादी चीजों की कमी अब भी एक बड़ी समस्या है।
दीपिका ने साफ किया कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इंडस्ट्री में असमानता के खिलाफ आवाज उठाई है। चाहे वह वेतन की बात हो या वर्किंग कंडीशन्स की, उन्होंने हमेशा अपने हक की लड़ाई “खामोशी और गरिमा” के साथ लड़ी है।
कुछ महीने पहले खबर आई थी कि दीपिका स्पिरिट फिल्म से बाहर हो गई हैं क्योंकि उन्होंने मातृत्व के बाद 8 घंटे की शिफ्ट, मुनाफे में हिस्सा और तेलुगु में डायलॉग्स न बोलने की मांग रखी थी। अब कल्कि 2898 एडी के सीक्वल से भी उनका नाम हटाया गया है।
वायजयंती मूवीज ने आधिकारिक तौर पर एक्स पर एक पोस्ट में इसकी पुष्टि की और लिखा कि फिल्म की प्रतिबद्धता के लिहाज से दोनों पक्षों में तालमेल नहीं बन सका।
रिपोर्ट्स के मुताबिक दीपिका ने न सिर्फ 25 प्रतिशत फीस बढ़ाने की मांग की, बल्कि अपने 25 सदस्यीय क्रू के लिए 5-स्टार स्टे और भारी खर्च की मांग भी की। उन्होंने सात घंटे से अधिक शूटिंग करने से भी इनकार कर दिया, जिस पर प्रोड्यूसर्स को आपत्ति हुई।
हालांकि इन सबके बीच दीपिका ने बिना नाम लिए इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए संकेत दिया कि उनके लिए फिल्म का अनुभव और टीम सबसे ज्यादा मायने रखती है। उन्होंने शाहरुख खान के साथ अपनी छठवीं फिल्म किंग की घोषणा करते हुए लिखा कि 18 साल पहले ओम शांति ओम के दौरान शाहरुख ने सिखाया था कि फिल्म बनाते वक्त उसका अनुभव सबसे जरूरी होता है।
दीपिका का यह बयान और रुख यह साफ करता है कि वे इंडस्ट्री की दोहरी मानसिकता और महिला कलाकारों के साथ भेदभाव के खिलाफ मजबूती से खड़ी हैं।