‘यात्रा’ से ‘कथा सागर’ तक, श्याम बेनेगल ने टीवी जगत पर भी छोड़ी शानदार छाप

By : hashtagu, Last Updated : December 24, 2024 | 12:25 pm

मुंबई, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) को शानदार फिल्मों से एक नया आयाम देने वाले दिग्गज निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल की छोटे पर्दे पर भी तगड़ी पकड़ थी। अपने पीछे वो टीवी शोज की समृद्ध विरासत में छोड़ गए। धारावाहिक ऐसे जो दिलों को कुरेदते हैं और भारत की आत्मा से जोड़ते हैं।

यात्रा: श्याम बेनेगल ने टीवी सीरियल ‘यात्रा’ के साथ छोटे पर्दे पर अपनी शुरुआत की थी, जो 1986 में आई थी। यात्राओं पर आधारित इस शो के कुल 15 एपिसोड थे। खास बात है कि पूरा शो हिमसागर एक्सप्रेस पर फिल्माया गया था। यात्रा में ओम पुरी के साथ नीना गुप्ता, इला अरुण, मोहन गोखले और हरीश पटेल जैसे कलाकार थे।

कथा सागर: ‘यात्रा’ के बाद श्याम बेनेगल ने ‘कथा सागर’ नाम का टीवी शो बनाया था। 1986 में आई इस शो के कुल 44 एपिसोड थे। ‘कथा सागर’ में पंकज बेरी के साथ सईद जाफरी, सुप्रिया पाठक जैसे कलाकार नजर आए थे।

भारत एक खोज: ‘यात्रा’ और ‘कथा सागर’ के बाद श्याम बेनेगल साल 1988 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की किताब ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ पर आधारित शो ‘भारत एक खोज’ लेकर आए थे। शो में 53 एपिसोड थे। शो में ओम पुरी, रोशन सेठ, टॉम ऑल्टर के साथ सदाशिव अमरापुरकर जैसे कलाकार थे।

अमरावती की कथाएं: श्याम बेनेगल 1995 में ‘अमरवाती की कथाएं’ टीवी शो लेकर आए थे। शो में रघुबीर यादव के साथ नीना गुप्ता नजर आई थीं।

संविधान: श्याम बेनेगल साल 2014 में ‘संविधान’ नामक शो लेकर आए। 10 एपिसोड वाला यह शो राज्यसभा टीवी पर प्रसारित हुआ था।

श्याम बेनेगल को सरकार ने 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण सम्मान से नवाजा था। साल 2007 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। वह इकलौते फिल्म निर्देशक थे, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म के लिए पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था।

इसके अलावा श्याम बेनेगल को साल 2012 में साउथ एशियन सिनेमा फाउंडेशन के एक्सीलेंस इन सिनेमा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उनको भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह पुरस्कार लंदन में दिया गया था।

उन्होंने फिल्मों और टीवी शो के अलावा डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्में भी बनाई थी। इसमें ‘नेहरू’ (1985) और ‘सत्यजित राय, फिल्मकार’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।