नई दिल्ली, 14 नवंबर 2025 – भारतीय सिनेमा की प्रतिष्ठित और दिग्गज अभिनेत्री कमिनी कौशल (Kamini Kaushal) का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बॉलीवुड की इस युग निर्माता के निधन से फिल्म इंडस्ट्री ने एक अनमोल रत्न को खो दिया। कमिनी कौशल के परिवार ने इस दुखद समाचार की पुष्टि करते हुए कहा कि वे अत्यधिक निजी लोग हैं और इस कठिन घड़ी में सम्मान की मांग करते हैं।
कमिनी कौशल का फिल्मी सफर
कमिनी कौशल का करियर सात दशकों तक फैला रहा, और उन्होंने अपनी शानदार अभिनय क्षमता से हिंदी सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी। उनका फिल्मी करियर नीचा नगर (1946) से शुरू हुआ था, जो कान्स फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी। इसके अलावा, नीचा नगर को पाम द’ओर पुरस्कार भी मिला, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
कमिनी कौशल की प्रमुख फिल्मों में दो भाई (1947), शहीद (1948), नदीया के पार (1948), ज़िद्दी (1948), शबनम (1949), आर्ज़ू (1950), जेलर (1958), और गोडान (1963) शामिल हैं। 1963 के बाद, उन्होंने चरित्र भूमिकाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और दो रास्ते (1969), प्रेम नगर (1974), महाचोर (1976) जैसी फिल्मों में अभिनय किया, जिनसे उनकी अभिनय क्षमता और भी निखर कर सामने आई।
कमिनी कौशल का व्यक्तिगत जीवन और योगदान
कमिनी कौशल का जन्म लाहौर में हुआ था। उनका असली नाम उमा कश्यप था, और वे एक उच्च शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता शिवराम कश्यप एक प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक थे, जिन्होंने लाहौर विश्वविद्यालय में वनस्पति शास्त्र विभाग की स्थापना की थी। कमिनी ने बचपन से ही घुड़सवारी, भरतनाट्यम और तैराकी जैसे कई कौशल सीखे, और रेडियो नाटकों और रंगमंच पर भी काम किया, जिससे उनकी अभिनय क्षमता और आवाज़ में उत्कृष्टता आई।
कमिनी कौशल की प्रतिभा ने उन्हें निर्देशक चेतन आनंद के ध्यान में लाया, जिन्होंने उन्हें नीचा नगर में काम करने का अवसर दिया। यहां से उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी एक खास पहचान बनाई।
दिग्गज सितारों के साथ काम
कमिनी कौशल ने कई महान अभिनेता जैसे दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद और अशोक कुमार के साथ काम किया। दिलीप कुमार के साथ उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री खासकर नदीया के पार, शहीद और शबनम जैसी फिल्मों में जबरदस्त रही, और दोनों की जोड़ी ने दर्शकों का दिल जीता। ऑफ-स्क्रीन, कमिनी और दिलीप कुमार के बीच एक रोमांटिक रिश्ता भी था, लेकिन उन्होंने अपनी बहन के निधन के बाद अपने भाई-बहन के पति बी.एस. सूद से विवाह किया और अपनी nieces की परवरिश की।
कमिनी कौशल की विविधता और कलात्मकता
कमिनी कौशल को अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाना जाता है। उन्होंने रोमांटिक, नाटकीय, और थ्रिलर जैसी विभिन्न शैलियों में बेहतरीन अभिनय किया। जिद्दी (1948), शबनम (1949), और आर्ज़ू (1950) जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं ने उन्हें एक शीर्ष अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।
सिनेमा के लिए योगदान
कमिनी कौशल की अभिनय कला और फिल्मों में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उनके निधन से हिंदी सिनेमा ने एक अद्वितीय सितारे को खो दिया है, जो हमेशा अपने दर्शकों के दिलों में जीवित रहेगा।
कमिनी कौशल का निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है, और वे हमेशा अपनी यादों और फिल्मों के माध्यम से जीवित रहेंगी।