दुनिया में ‘मरबर्ग वायरस’ बीमारी का अटैक!, 50 फीसदी मौतें

By : hashtagu, Last Updated : March 31, 2023 | 9:22 pm

दुनिया में अचानक एक रहस्मयी बीमारी का अटैक हुआ है। इसका नाम मरबर्ग वायरस (Marburg Virus Disease) ये सबसे खतरनाक वायरस साबित हो रहा है। इसकी चपेट में आने वाले करीब 50 फीसद लोग मौत के मुंह में समा जा रहे हैं। पश्चिमी अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी ने फरवरी महीने में मरबर्ग वायरस आउटब्रेक डिक्लेयर किया था। देश में मरबर्ग वायरस से जुड़ी बीमारी के कम से कम 9 मामले सामने आए थे, जिनकी पुष्टि लैब टेस्ट में की गई थी।

चिंताजनक बात यह थी कि इन 9 में से 7 की मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इक्वेटोरियल गिनी में मरबर्ग वायरस की वजह से 20 लोगों की मौत हुई है। मामले पूर्वी अफ्रीका के तंजानिया में भी पाए गए हैं। तंजानिया में भी सामने आए 8 मामलों में से 5 मरीजों की मौत हो गई. जिस तरह से मरबर्ग के मामले अफ्रीकी देशों में बढ़े हैं, उसे देखते हुए दुनियाभर के स्वास्थ्य अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। आइए जानते हैं, मरबर्ग वायरस क्या? इससे होने वाली बीमारी के लक्षण हैं?, इसके कारण और इलाज क्या है?

मरबर्ग वायरस बीमारी क्या है

इस वायरस को पहले मरबर्ग हेमोरेजिक फीवर (MHF) के नाम से जाना जाता था। यह वायरस बिल्कुल इबोला वायरस की ही तरह है। मरबर्ग वायरस से संक्रमित व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है और बुखार आता है, जिसकी वजह से शॉक या मौत भी हो सकती है। एक्सपर्ट ने साल 1967 में जर्मनी और सर्बिया में दो बड़े आउटब्रेक के बाद मरबर्ग वायरस डिजीज (MVD) की पहचान की थी। इन अफ्रीकी देशों में मरबर्ग के मामले लैब में काम करने वाले लोगों में सामने आए, क्योंकि वह यूगांडा से लाए गए संक्रमित बंदर पर कुछ रिसर्च कर रहे थे। इसके बाद अफ्रीका के कुछ दूर-दराज के इलाकों में भी मरबर्ग वायरस बीमारी के मामले सामने आने लगे।

यह वायरस चमगादड़ की प्रजाति से फैली है

मकबर्ग वायरस बीमारी भी इंसानों में चमगादड़ की एक प्रजाति से ही आई है. जब कोई व्यक्ति राउसेटस प्रजाति के चमगादड़ों से भरी किसी माइन या गुफा में लंबे समय तक रहता है तो उसे मरबर्ग वायरस बीमारी हो सकती है। ज्ञात हो कि राउसेटस चमगादड़ मरबर्ग वायरस के नेचरल होस्ट हैं. यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के खून, ऑर्गन, मल-मूत्र या बॉडी फ्लूइड के संपर्क में आने पर इंसानों से इंसानों में फैल सकती है। इंसानों के आसपास मौजूद कुछ वस्तुओं और चीजों जैसे कपड़ों और बिस्तर पर यह वायरस लंबे समय तक जीवित रह सकता है।

हेल्थ वर्कर इसकी चपेट में जल्दी आते हैं

इसकी चपेट में सबसे ज्यादा और सबसे जल्दी ऐसे हेल्थ केयर वर्कर आते हैं, जो संक्रमित या संदिग्ध MVD मरीज का इलाज करते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि अस्पताल या नर्सिंग होम सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखते और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आसानी से दूसरे लोगों को आने देते हैं. संक्रमण अस्पताल के औजारों के जरिए भी एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुंच सकते हैं.

मरबर्ग वायरस डिजीज के लक्षण

मरबर्ग वायरस डिजीज का इनक्यूबेशन पीरियड 2 से 21 दिन तक का होता हैं। इनक्यूबेशन पीरियड का मतलब संक्रमण के संपर्क में आने और इसके लक्षण दिखने तक के बीच का समय होता है. मरबर्ग वायरस बीमारी के कुछ लक्षण यहां दिए गए हैं।

तेज बुखार (High Fever)

गंभीर सिरदर्द (Severe Headaches)

गंभीर रूप से बीमार होने की फीलिंग

मांसपेशियों में दर्द और अन्य तरह के दर्द

गंभीर डायरिया विशेषरूप से लक्षण दिखने के तीसरे दिन

पेट में दर्द और ऐंठन

मतली और उल्टी

आंखें धंसना, भावहीन चेहरा

गंभीर रूप से थकान

साल 1967 में जब इस बीमारी का आउटब्रेक हुआ था, उस समय लक्षण दिखने के बाद दूसरे से सातवें दिन तक लोगों को रैशेस की समस्या हुई थी। हालांकि, तब भी लोगों को इनमें खुजली की दिक्त नहीं थी. लक्षण दिखने के 5-7 दिन के भीतर गंभीर रूप से रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग हो सकती है। आपको उल्टी और मल में भी खून आ सकता है। इसके अलावा नाक, मसूड़े (Gums) और योनि (Vagina)से भी ब्लीडिंग हो सकती है। पुरुषों के टेस्टिकल्स में बीमारी के लक्षण दिखने के 15 दिन के आसपास सूजन आ सकती है. चिंताजनक यह है कि MVD से संक्रमित आधे लोगों की मौत हो जाती है।

मरबर्ग वायरस डिजीज का निदान

मरबर्ग वायरस डिजीज के लक्षण टायफाइड, मलेरिया, मेनिंजाइटिस और अन्य तरह के वायरल बुखार के समान ही होती हैं। यही वजह है कि लोग इसके लक्षणों को लेकर अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं। डॉक्टर आपके बॉडी फ्लूइड का टेस्ट करके MVD का निदान कर सकते हैं। इसके लिए निम्न कुछ टेस्ट किए जा सकते है।