बीजिंग। साल 2019 के अंत में विश्व के सामने महामारी के रूप में आए कोविड-19 (Covid-19) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि घातक सार्स कोव-2, यानी कोविड-19 के वायरस को चीन द्वारा वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की प्रयोगशाला में जानबूझकर “जैव हथियार” के रूप में तैयार किया गया था। यह जानकारी मीडिया की खबरों में दी ।। इसी के उसने लोगों को जानबूझकर संक्रमित किया था।
बताते चलें कि इस तरह के आरोप चीन पर लगते रहे हैं। पहले भी कहा गया है कि चीन अपने लैब में कोविड-19 वायरस को तैयार कर रहा था। हालाँकि, चीन ने इससे इनकार किया था और कहा था कि यह वायरस चीन के मीट मार्केट (Meat Market) से फैला था।
Biological Terrorism: China engineered Covid-19 "bioweapon" to purposely infect people, reveals Wuhan researcher
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— ANI Digital (@ani_digital) June 28, 2023
वुहान के शोधकर्ता चाओ शाओ ने इंटरनेशनल प्रेस एसोसिएशन के सदस्य जेनिफर जेंग के साथ एक साक्षात्कार में यह खुलासा किया है। शाओ ने कहा कि कोरोना वायरस को चीन ने जैव हथियार के रूप में तैयार किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वुहान लैब के वैज्ञानिकों को सबसे प्रभावशाली वायरस पता करे के लिए कहा गया था।
चाओ ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में उनके सहयोगी शान चाओ ने उन्हें बताया कि उसके एक सीनियर ने उसे कोरोनो वायरस के चार प्रकार दिए थे। शान ने उन्हें बताया कि उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों को चार तरह के वायरस दिए गए थे और पता लगाने के कहा गया था कि कौन-सा सबसे तेजी से फैल सकता है।
चाओ शाओ ने कहा कि कोरोना वायरस कुछ और नहीं, बल्कि यह एक जैव हथियार था। उन्होंने कहा कि उनके कई सहयोगी वुहान में साल 2019 में आयोजित हुए सैन्य विश्व खेलों के दौरान गुम हो गए थे। बाद में उनमें से एक शोधकर्ता ने उन्हें बताया था कि वे सभी विभिन्न देशों से आए एथलीटों की जाँच करने के लिए होटलों में गए थे।
चाओ शाओ ने कहा कि ये बात समझनी चाहिए कि किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की जाँच के लिए किसी वायरोलॉजिस्ट की जरूरत नहीं होती है। जाँच करने का काम डॉक्टर आदि करते हैं। चाओ शाओ ने कहा कि इन वायरोलॉजिस्ट को कोरोना वायरस फैलाने के लिए वहाँ भेजा गया था, ताकि यह दुनिया में तेजी से फैल सके।
चाओ शाओ ने आगे कहा, “अप्रैल 2020 में उन्हें शिनजियांग भेजा गया था, ताकि जेलों में बंद उइगरों मुस्लिमों की सेहत की जाँच की जा सके। सेहत जाँचने के बाद उन्हें जल्द आजाद किया जा सके। वायरस की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों को सेहत की जाँच का काम देना कहाँ तक सही है।”
चाओ ने कहा कि वहाँ वायरोलॉजिस्ट को सिर्फ यह देखने के लिए भेजा गया था कि वायरस फैल रहा है या नहीं या फिर उसके जरिए वायरस फैलाया गया। बताते चलें कि कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है। ऐसे में यह आरोप उन दावों की एक तरह से पुष्टि कर रहे हैं।