नए साल पर लाइफस्टाइल को लेकर संकल्प कैंसर जोखिम को करेगा कम

डब्ल्यूएचओ और अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक भी अच्छे लाइफस्टाइल को अपना कर हम कैंसर रिस्क को कम कर सकते हैं। इससे कुछ कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है।

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  • Publish Date - December 31, 2024 / 01:31 PM IST

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। 2025 में लाइफस्टाइल को लेकर किया गया रेजोल्यूशन जिंदगी के लिए बूस्टर डोज साबित हो सकता है। कैंसर (Cancer) जैसी जानलेवा बीमारी को आपके पास फटकने से रोक सकता है। जीवनशैली को लेकर किए गए छिटपुट बदलाव सेहत के लिए नेमत साबित हो सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ और अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक भी अच्छे लाइफस्टाइल को अपना कर हम कैंसर रिस्क को कम कर सकते हैं। इससे कुछ कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है।

ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल 1 करोड़ 90 लाख कैंसर केस रिपोर्ट होते हैं। भारत कैंसर के मामलों में तीसरे नंबर पर है। विशेषज्ञों की राय लगभग एक सी है। सब यही मानते हैं कि कैंसर से बचना है तो लाइफस्टाइल को दुरुस्त कीजिए। इसमें आहार भी आता है।

क्या हैं वो उपाय जो किसी को भी विभिन्न तरह के कैंसर से बचा सकते हैं? आहार के अलावा और कौन सी आदतें हैं जिन्हें छोड़ अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा सकता है? गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. निरंजन नाइक कहते हैं बैलेंस डाइट, नियमित व्यायाम, तम्बाकू का कम सेवन, शराब से बच और स्मोकिंग को तौबा कह कैंसर रिस्क को कम किया जा सकता है।

बड़े बुजुर्ग भी कहते आए हैं ‘जैसा अन्न वैसा तन्न’। मतलब साफ है जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए अच्छा आहार जरूरी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अच्छा आहार का मतलब फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार होता है। वो इसलिए क्योंकि इनमें एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और खनिज की मात्रा अच्छी खासी होती है जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। एक खास बात का ख्याल रखना होता है। वो ये कि प्रोसेस्ड फूड आइटम्स और रेड मीट को ज्यादा नहीं खाना चाहिए। प्रोसेस्ड मीट (जैसे, सॉसेज, हॉट डॉग) और रेड मीट के अत्यधिक सेवन का संबंध कोलोरेक्टल और अन्य कैंसर से है। सलाह यही है कि पौधे आधारित खाद्य पदार्थों और लीन प्रोटीन स्रोतों का विकल्प चुना जाए।

ऑन्कोलॉजिस्ट्स की राय है कि वजन को नियंत्रित करना भी जरूरी है। अधिक वजन या मोटापे से स्तन, कोलोरेक्टल और किडनी कैंसर सहित कई कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित आहार और व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखने से इस जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

नियमित व्यायाम से भी कैंसर को रोका जा सकता है। डॉ नाइक के मुताबिक नियमित व्यायाम वजन कंट्रोल करता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है और ये सभी कैंसर के जोखिम को कम करते हैं। प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम व्यायाम करने का टार्गेट फिक्स कर लेना चाहिए। इसके अलावा दैनिक शारीरिक गतिविधि में थोड़ी सी भी वृद्धि, जैसे कि चलना, बागवानी करना, या सीढ़ियां चढ़ना, समग्र स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

अगर कोई ये सोचता है कि धूम्रपान सिर्फ फेफड़ों पर ही अटैक करता है तो वो कुछ हद तक भुलावे में है। क्योंकि इससे मुंह, गले, मूत्राशय, अग्नयाशय, गुर्दे और महिलाओं में गर्ब

धूम्रपान कैंसर, विशेष रूप से फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है। यह मुंह, गले, मूत्राशय, अग्न्याशय, गुर्दे और गर्भाशय ग्रीवा यानि यूटरिन सर्विक्स का कैंसर भी होता है। धूम्रपान छोड़ने से इस तरह के कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है। वहीं पैसिव स्मोकिंग भी सेहत के लिए अच्छी नहीं है।

शराब पीना भी एक ऐसी आदत है जिससे छुटकारा पा लें तो लीवर, स्तन और कोलन के कैंसर से बचाव हो सकता है।

ये तो हुई खान पान और व्यायाम की बातें लेकिन ऑन्कोलॉजिस्ट की एक और राय है कि लोग टीकाकरण को लेकर सीरियस हों। ह्यूमन पेपिलोमावायरस वैकसीन (फीमेल्स के लिए) और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन तयशुदा समय पर जरूर लगाएं। ये वैक्सीन संक्रमण को बढ़ने नए देते जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।

डॉ नाइक एक और चीज पर तवज्जो देने की वकालत करते हैं। और वो है स्ट्रेस को मैनेद करना। डॉक्टर के मुताबिक क्रॉनिक स्ट्रेस (तनाव) अप्रत्यक्ष तौर पर कैंसर को बढ़ाता है। इसके लिए जरूरी है कि ध्यान करें, लंबी गहरी सांस लें, योग करें और पर्याप्त नींद को लाइफस्टाइल का प्रमुख अंग बना लें।

ये कुछ ऐसे टिप्स हैं जो कैंसर रिस्क को कम करते हैं, आपको सेहतमंद रखते हैं और जिंदगी की गाड़ी सरपट दौड़ा सकते हैं!