नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)।अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स (processed food) के नियमित सेवन और गतिहीन जीवनशैली के कारण भारत में 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
चिकित्सकों ने बताया है कि भारत के युवाओं में कैंसर के मामलों में वृद्धि के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स, तंबाकू और शराब का बढ़ता सेवन, गतिहीन जीवनशैली, मोटापा और तनाव शामिल हैं।
इसके पीछे पर्यावरण प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण कारण है। भारत के कई शहरों में उच्च स्तर का प्रदूषण है, जो विभिन्न प्रकार के कैंसर को जन्म देता है।
वायु और जल प्रदूषण व्यक्तियों को कार्सिनोजेनिक पदार्थों के संपर्क में लाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है।
ज्यादातर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करने और गतिहीन जीवनशैली से भारतीय युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामले देखे जा सकते हैं।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के हेमेटोलॉजी और बीएमटी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. राहुल भार्गव ने आईएएनएस को बताया, ”अनहेल्दी तत्वों से भरपूर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन, शारीरिक निष्क्रियता के साथ मिलकर स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, ”इस खतरनाक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए स्वस्थ आहार संबंधी आदतें और एक बेहतर जीवनशैली अपनाना जरूरी है।”
दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संस्था कैंसर मुक्त भारत फाउंडेशन के एक हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में कैंसर के 20 प्रतिशत मामले अब 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में पाए जा रहे हैं।
अध्ययन से पता चलता है कि इन युवा कैंसर रोगियों में 60 प्रतिशत पुरुष हैं, जबकि शेष 40 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसमें पुरुष ज्यादा प्रभावित हैं, इसके पीछे तंबाकू के उपयोग और बेकार जीवनशैली कारण हो सकती है।
यूनिक हॉस्पिटल कैंसर सेंटर दिल्ली के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर और सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. आशीष गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, ”हमारे देश में मोटापे की बढ़ती दरें, आहार संबंधी आदतों में बदलाव, विशेष रूप से प्रोसेस्ड फूड्स की खपत में वृद्धि और गतिहीन जीवनशैली कैंसर की उच्च दरों से जुड़ी हैं।”
चिकित्सकों ने युवाओं में बढ़ती कैंसर दरों से निपटने के लिए जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया।
‘कैंसर मुक्त भारत कैंपेन’ का नेतृत्व कर रहे डॉ. आशीष ने वयस्कों में कैंसर की बढ़ती दर से निपटने के लिए सरकार, स्वास्थ्य पेशेवरों और समुदाय के संयुक्त प्रयासों पर महत्व दिया।
उन्होंने कहा, ”स्वच्छ हवा और पानी, नियमित शारीरिक गतिविधि और पौष्टिक भोजन तक पहुंच को बढ़ावा देने वाली नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके अलावा हमें समय से इसकी पहचान और उपचार सुनिश्चित करने के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए।”