PARENTING TIPS: सभी  बच्चा चाहता है अपने माता-पिता में ये  बदलाव

By : hashtagu, Last Updated : March 21, 2025 | 3:07 pm

PARENTING TIPS: जेनरेशन गैप (Generation gap)यानी दो पीढ़ियों के बीच का अंतर अभिभावक और बच्चों(parents and children) के बीच समझ, व्यवहार, जिम्मेदारी और रहन-सहन में भिन्नता लाता है। ऐसे में बच्चों और अभिभावकों के बीच समझ, भरोसा और विचार को लेकर टकराव हो सकता है। आपका बच्चा आपसे बहुत प्यार करता हो, तब भी वह कुछ बदलावों की उम्मीद आप से भी रखता है।

हालांकि बच्चे खुलकर ये बात कह नहीं पाते लेकिन मन ही मन में वह ये चाहते हैं कि उनके अभिभावक में कुछ बदलाव हों ताकि उनका अपने माता-पिता से रिश्ता मजबूत हो सके और उनका परिवार खुशहाल बने। बच्चे चाहते हैं कि उनके मम्मी-पापा में अधिक धैर्य, समझ, प्रोत्साहन और उनके प्रति भरोसा हो।

माता-पिता के साथअधिक समय बिताना

बच्चे माता पिता के साथ अधिक समय बिताना काफी पसंद करते हैं, जहां उनके बीच अच्छी बातचीत हो। वह लोग साथ में मिलकर खेलें। बच्चा चाहता है कि माता पिता उसके विचारों व भावनाओं में वास्तविक रूचि रखें।

अधिकधैर्यवान हों

बच्चे चाहते हैं कि उनके माता-पिता अधिक धैर्यवान हों। बिना बीच में टोके ध्यान से उनकी बात सुनें और तुरंत निराशा या आलोचना के साथ प्रतिक्रिया किए बिना उनकी कठिनाइयों को समझें।

पढ़ाई पर कम दबाव

अधिकांश बच्चे पढ़ाई और खेलने के समय का संतुलन चाहते हैं। वह पढ़ाई के साथ ही अन्य गतिविधियों में रूचि रखथे हैं और वह ये उम्मीद करते हैं कि उनके माता-पिता केवल उपलब्धियों और ग्रेड पर ही ध्यान केंद्रित न करें बल्कि बच्चे के लिए समग्र रूप से सीखने पर फोकस करें।

उन पर भरोसा करें

बच्चे चाहते हैं कि उनके माता पिता छोटे-मोटे फैसलों को लेकर उनपर भरोसा करें ताकि वे अपने शौक, रुचियों और स्वतंत्रता के बारे में बिना किसी रोक टोक या नियंत्रण के सीख सकें।

उनके विचारों का सम्मान

बच्चे मन ही मन चाहते हैं कि उनके माता-पिता उनकी राय का सम्मान करें ताकि वे बिना किसी चिंता के खुलकर संवाद कर सकें। उन्हें इस बात का डर न हो कि अपनी बात रखने पर अभिभावक तुरंत उनकी आलोचना करने लगेंगे या उनकी बात को अस्वीकार कर देंगे।

आलोचना नहीं प्रोत्साहन दें

बच्चे मन ही मन चाहते हैं कि उनके माता-पिता उनकी तुलना दूसरों से न करें। इसके बजाय बिना किसी दबाव के उनकी विशेष शक्तियों, प्रतिभाओं और उन्नति को स्वीकार करें। उनसे ऐसी बातों की अपेक्षा या मांग न करें, जो बच्चा पूरी करने में असक्षम महसूस कर रहा हो।

लेक्चर न देकर बातचीत करें

बच्चे दो तरफा बातचीत चाहते हैं, जिसमें उनकी बात भी सुनी जाए, उन्हें समझा जाए और घर के फैसलों में शामिल किया जाए।

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