सावन विशेष: महादेव को क्यों प्रिय हैं भांग, आक और धतूरा?

मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें अमृत के साथ-साथ एक अत्यंत जहरीला विष ‘हलाहल’ भी निकला। यह विष इतना भयानक था कि तीनों लोकों को नष्ट कर सकता था।

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  • Publish Date - July 4, 2025 / 05:30 AM IST

Sawan Special: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस दौरान भक्त शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, भस्म, भांग, आक और धतूरा चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर शिवजी को भांग, आक और धतूरा जैसे विषैले और वर्जित माने जाने वाले पौधे क्यों अर्पित किए जाते हैं? इसके पीछे एक गहरा पौराणिक और आध्यात्मिक रहस्य छिपा है, जिसका उल्लेख शिव पुराण और भगवती पुराण में मिलता है।

मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें अमृत के साथ-साथ एक अत्यंत जहरीला विष ‘हलाहल’ भी निकला। यह विष इतना भयानक था कि तीनों लोकों को नष्ट कर सकता था। तब भगवान शिव ने समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष को अपने भीतर रोक लेने के कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और तभी से वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। इस विष के प्रभाव से शिवजी के शरीर में तीव्र ताप उत्पन्न हुआ, जिसे शांत करने के लिए देवी पार्वती ने उनके मस्तक पर औषधीय गुणों वाले प्राकृतिक पौधे जैसे भांग, धतूरा और आक का लेप किया और उनके ऊपर जल अर्पित किया। यह उपचारात्मक प्रक्रिया न केवल उनका ताप कम करने में सहायक हुई, बल्कि इसके बाद इन सभी वस्तुओं को शिव पूजा में शुभ और अनिवार्य मान लिया गया।

शिवजी का स्वभाव भी इन वस्तुओं को स्वीकारने की भावना से मेल खाता है। वे ऐसे देव हैं जो समाज में त्याज्य माने जाने वाले, विषैले या उपेक्षित तत्वों को भी अपने में समाहित कर लेते हैं। वे हमें यह संदेश देते हैं कि जो चीजें मानव जीवन के लिए हानिकारक हैं, उनका त्याग करना चाहिए और उनका प्रयोग केवल ध्यान और साधना के माध्यम से, संयमपूर्वक किया जाना चाहिए। शिव द्वारा भांग, आक और धतूरा को स्वीकार करना इस बात का प्रतीक है कि वे उन चीजों को भी अपनाते हैं जिन्हें दुनिया ने अस्वीकार कर दिया हो, ताकि उनका दुरुपयोग न हो और उनके प्रति आसक्ति न पनपे।

आज भी सावन के पवित्र महीने में भक्त शिवलिंग पर भांग, आक और धतूरा चढ़ाते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक विश्वास से जुड़ी है, बल्कि यह एक गहरे आध्यात्मिक अर्थ को भी दर्शाती है। माना जाता है कि इन चीजों का अर्पण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए, सावन के इस पवित्र अवसर पर जब आप महादेव को भांग या धतूरा अर्पित करें, तो यह समझना जरूरी है कि इसके पीछे सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक गहन पौराणिक चेतना और शिव के त्याग का भाव भी छिपा है।