शारदीय नवरात्रि 2025: मां कालरात्रि की पूजा से दूर होंगे भय और संकट, जानें विधि, मंत्र और आरती

मां कालरात्रि को गुड़ और उससे बनी मिठाई का भोग विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। इसके साथ ही उड़द की दाल और चावल का भोग लगाना भी शुभ माना गया है।

  • Written By:
  • Publish Date - September 29, 2025 / 12:55 PM IST

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 2025 का सातवां दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि की पूजा को समर्पित होता है। यह दिन साधना और शक्ति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मां कालरात्रि का रूप भले ही उग्र हो, लेकिन वह अपने भक्तों को भय, संकट और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने वाली देवी हैं।

इस दिन सुबह स्नान करके पवित्र मन से पूजा का संकल्प लिया जाता है। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है और मां की प्रतिमा या तस्वीर को साफ चौकी पर स्थापित कर उन्हें काले रंग की चुनरी ओढ़ाई जाती है। फिर उन्हें रोली, अक्षत, धूप, दीप और लाल फूल अर्पित किए जाते हैं।

मां कालरात्रि को गुड़ और उससे बनी मिठाई का भोग विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। इसके साथ ही उड़द की दाल और चावल का भोग लगाना भी शुभ माना गया है।

पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और मां कालरात्रि के मंत्रों का पाठ करना फलदायी माना जाता है। इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह और शाम दोनों समय है, इसलिए भक्त अपनी सुविधा के अनुसार पूजा कर सकते हैं।

मां कालरात्रि की उपासना में निम्न मंत्र का जाप विशेष फल देता है –
या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

इसके साथ ही साधक “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः” बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, जो आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है।

पूजन के अंत में मां कालरात्रि की आरती करना आवश्यक होता है। भक्त “कालरात्रि जय जय महाकाली…” आरती के माध्यम से मां की स्तुति करते हैं और उनसे जीवन की समस्त बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

मान्यता है कि मां कालरात्रि का स्थान धार्मिक दृष्टि से कोलकाता माना गया है, लेकिन श्रद्धा से की गई पूजा किसी भी स्थान पर उतनी ही प्रभावी मानी जाती है।

मां कालरात्रि की उपासना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आंतरिक शक्ति और आत्मरक्षा की जागरूकता भी है। जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना करता है, उसे जीवन में कोई भय या कष्ट नहीं छू सकता।