एमपी विधानसभा में विधायकों पर नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक, कांग्रेस ने किया विरोध

कांग्रेस का कहना है कि यह आदेश विपक्ष की आवाज को दबाने और विधानसभा को "सरकारी समारोह" में बदलने की कोशिश है।

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  • Publish Date - July 25, 2025 / 10:47 PM IST

भोपाल, 25 जुलाई। मध्यप्रदेश विधानसभा (Vidhan Sabha) सचिवालय ने प्रदेश के सभी विधायकों के लिए एक सख्त निर्देश जारी किया है। अब कोई भी विधायक विधानसभा परिसर के भीतर नारेबाजी, प्रदर्शन या धरना नहीं कर सकेगा। विधानसभा के प्रमुख सचिव ए.पी. सिंह द्वारा हस्ताक्षरित यह आदेश 10 जुलाई को जारी किया गया था और इसे सभी विधायकों को भेजा जा चुका है।

यह निर्देश आगामी विधानसभा के मानसून सत्र से पहले जारी किया गया है, जो 28 जुलाई से शुरू हो रहा है। सचिवालय ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश विधानसभा अध्यक्ष के स्थायी आदेश 94(2) के तहत जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है कि विधायकों को विधानसभा परिसर में शांति बनाए रखनी होगी और सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग करना होगा।

आदेश की प्रमुख बातें:

  • विधानसभा परिसर में किसी भी प्रकार की नारेबाजी, धरना या प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक।

  • यह रोक सभी दलों के विधायकों पर समान रूप से लागू होगी।

  • विधायकों से अपेक्षा की गई है कि वे विधानसभा की गरिमा बनाए रखें।

  • आदेश का उद्देश्य विधानसभा सत्र के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखना है।

कांग्रेस ने किया विरोध:
सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इसे ‘तुगलकी फरमान’ करार देते हुए लोकतंत्र का गला घोंटने वाला कदम बताया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विधायकों को विरोध करने, अपनी बात रखने और प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार है, जिसे सरकार दबाने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस का कहना है कि यह आदेश विपक्ष की आवाज को दबाने और विधानसभा को “सरकारी समारोह” में बदलने की कोशिश है।

यह कदम ऐसे समय में आया है जब राज्य की राजनीति में विपक्ष सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रहा है — जिनमें किसान, बिजली संकट, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे विषय शामिल हैं।
ऐसे में प्रदर्शन और नारेबाजी पर रोक को विपक्ष को निष्क्रिय करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।