मंत्री तोमर का बड़ा ऐलान, गैर कृषिकों 24 और किसानों को 10 घंटे मिलेगी बिजली
By : hashtagu, Last Updated : November 2, 2022 | 7:22 pm
भोपाल। मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्मन सिंह तोमर ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि विद्युत एक महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र है। वर्ष 2003-04 में जब हमारी सरकार सत्ता में आई, उस समय प्रदेश में बिजली की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। आये दिन विद्युत कटौती होती थी एवं उद्योगों और कृषकों को भी नियमित विद्युत प्रदाय नहीं हो पा रहा था। उस समय हमारी सरकार ने प्रदेश के विद्युत क्षेत्र में सुधार को एक चुनौती के रूप में लिया और न केवल प्रदेश को बिजली के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाया, अपितु विद्युत आधिक्य वाले राज्य के रूप में भी स्थापित किया।
2003-04 में मध्यप्रदेश में इतना था बिजली उत्पादन
वर्ष 2003-04 में प्रदेश की बिजली उपलब्ध क्षमता मात्र 5173 मेगावॉट थी, जो आज 21 हजार 615 मेगावॉट हो गई है, जिसमें नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों का योगदान 4080 मेगावाट है। मैं यह बताना चाहूँगा कि वर्ष 2003-04 में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से राज्य की संबद्ध क्षमता शून्य थी। इसी दौरान म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी की उत्पादन क्षमता को भी 2148 मेगावाट से बढा़ कर 5400 मेगावाट किया गया। यह भी अवगत कराना चाहूँगा कि वर्ष 2003-04 में राज्य में कुल विद्युत प्रदाय मात्र 2860 करोड़ यूनिट था, जो अब तीन गुने से अधिक बढ़ कर 8687 करोड़ यूनिट हो गया है।
ट्रांसफार्मरों की संख्या बढ़ाकर संसाधनों की क्षमता बढ़ाया
हमारी सरकार द्वारा बिजली अधो-संरचना के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। अति उच्च दाब लाइनों की लम्बाई, जो वर्ष 2004 में मात्र 18 हजार 48 सर्किट कि.मी. थी, अब बढ़ कर 41 हजार 325 सर्किट कि.मी. एवं अति उच्च दाब उप केन्द्रों की संख्या जो वर्ष 2004 में 162 थी, अब बढ़कर 406 हो गई है। इसी प्रकार 33केवी लाइनों की लम्बाई वर्ष 2004 में 29 हजार 556 कि.मी. से बढ़ कर वर्तमान में 57 हजार 905 कि.मी. तथा 11 केवी लाइनों की लम्बाई 1 लाख 60 हजार 865 कि.मी. से बढ़ कर वर्तमान में 4 लाख 63 हजार 449 कि.मी. पर पहुंच गई है। वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या, जो वर्ष 2004 में मात्र 1 लाख 68 हजार 346 थी, अब बढ़ कर 9 लाख 53 हजार 295 हो गई है।
मांग के अनुरूप बिजली उत्पादन में हो रही वृद्धि
प्रदेश के इतिहास में 24 दिसंबर, 2021 को अभी तक की सर्वाधिक 15 हजार 692 मेगावाट शीर्ष मांग की पूर्ति की गई। प्रदेश की वर्तमान ट्रांसमिशन क्षमता में बढ़ती हुई मांग के अनुरूप वृद्धि की जा रही है। प्रदेश में पारेषण हानियां अब मात्र 2.63 प्रतिशत रह गई है, जो पूरे देश में न्यूनतम हानियों में से एक है। वर्ष 2003-04 में राज्य में वितरण कंपनियों की एटी एंड सी हानियां 49.60 प्रतिशत थी, ये सरकार के विशेष प्रयासों का ही परिणाम है कि वर्ष 2021-22 में यह हानियां कम होकर 20.32 प्रतिशत रह गई है।
मंत्री ने बताई आगे की प्लानिंग
विद्युत मंत्रालय की रीवैम्पड वितरण क्षेत्र सुधार योजना में प्रथम चरण में दिसंबर 2023 तक 38 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है। इसी योजना में नए सब-स्टेशनों की स्थापना, केपेसिटर बैंक, फीडर विभक्तिकरण कार्यों और उनकी गुणवत्ता की सतत् निगरानी तथा वेंडरों के भुगतान के लिए विभिन्न पोर्टल विकसित किये जा रहे हैं। साथ ही ट्रांसफार्मर, मीटर, केबल आदि के लिए इन-हाउस परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है। जबलपुर, भोपाल, इन्दौर में एन.ए.बी.एल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला स्थापित हो चुकी हैं। ग्वालियर, उज्जैन, छिन्दवाड़ा में प्रयोगशालाओं का कार्य लगभग पूरा हो गया है। सतना, सागर एवं बडवाह में मार्च 2023 तक प्रयोगशाला की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।