बालाघाट, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। 9 अप्रैल को जब पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मध्य प्रदेश के बालाघाट में चुनाव प्रचार (Election campaign in Balaghat) के लिए पहुंचे तो मंच पर मौजूद भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं ने उन्हें एक खास टोपी पहनाई।
इस टोपी में जिले के किसानों और उनकी स्थानीय संस्कृति को उकेरा गया था, जो जनसभा में आम जनता के साथ-साथ सोशल मीडिया पर सुर्खियों के केंद्र में रहा।
दरअसल, यह टोपी खेतों में परहा लगाने वाली महिलाओं द्वारा बारिश से बचने के लिए पहनी जाती है। इस टोपी को देखने के बाद कहा जा सकता है कि यह इसका छोटा स्वरूप था। जिसमें, कृषि प्रधान बालाघाट जिले की पहचान धान और गेंहू की बाली, दीपावली में गोवारी नृत्य के दौरान कवड़ियों की पहनी जाने वाली पोशाक और आदिवासी नृत्य में सिर पर बांधे जाने वाले मोरपंख की झलक दिखाई दे रही थी।
इस टोपी को बनाने में पूरे चार से पांच घंटे लगे, जिसे बालाघाट के एक ज्वेलर्स ने तैयार किया है। कारीगर पुरूषोत्तम पाटकर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के उसके हाथों से डिजाइन की गई टोपी पहनने से उसकी 25 सालों की मेहनत सफल हो गई।
पुरूषोत्तम पाटकर बताते हैं कि किसी ने उन्हें बांस और पलसे की पत्ती से बनी सादी टोपी लाकर दिया और कहा कि इस टोपी को प्रधानमंत्री को पहनना है, इसे अच्छे से डिजाइन कर दो।
उन्होंने आगे बताया कि काफी सोचने के बाद इस टोपी को धान उत्पादक बालाघाट की पहचान और इसकी संस्कृति पर डिजाइन करने का फैसला करते हुए मैंने टोपी डिजाइन करनी शुरू की, जिसमें मैंने धान और गेंहू की बाली के साथ कौड़ी और भगवा कलर की जरी का उपयोग कर उसके ऊपर मोरपंख लगा दिए। इसमें लगभग चार से पांच घंटे लगे।
उन्होंने आगे कहा कि मुझे विश्वास नहीं था कि मेरी डिजाइन की गई टोपी प्रधानमंत्री मोदी पहनेंगे, लेकिन, जब उन्होंने यह टोपी पीएम मोदी को पहनते देखी तो लगा कि मेरी 25 सालों की मेहनत सफल हो गई।