पेंच से राजस्थान तक बाघिन का हवाई सफर, एमआई सत्रह हेलिकॉप्टर से हुआ ऐतिहासिक ट्रांसलोकेशन

हेलिकॉप्टर से जयपुर पहुंचने के बाद बाघिन को सड़क मार्ग के जरिए बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ले जाया गया। पूरी यात्रा के दौरान वन विभाग और वन्यजीव चिकित्सकों की टीम लगातार उसकी निगरानी करती रही।

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  • Publish Date - December 22, 2025 / 01:47 PM IST

पेंच टाइगर रिजर्व :मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से एक बाघिन को भारतीय वायुसेना के एमआई सत्रह हेलिकॉप्टर की मदद से राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (tiger reserve) तक सुरक्षित पहुंचाया गया। यह पहला मौका है जब किसी बाघिन को एक राज्य से दूसरे राज्य तक हवाई मार्ग से स्थानांतरित किया गया है। इस अभियान को वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

करीब तीन साल की इस बाघिन को पेंच टाइगर रिजर्व क्षेत्र में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने सुरक्षित रूप से बेहोश किया। स्वास्थ्य जांच के बाद उसे विशेष पिंजरे में रखा गया और सड़क मार्ग से सिवनी जिले की सुकत्रा एयरस्ट्रिप तक लाया गया। यहां से भारतीय वायुसेना के एमआई सत्रह हेलिकॉप्टर में बाघिन को राजस्थान के लिए रवाना किया गया।

हेलिकॉप्टर से जयपुर पहुंचने के बाद बाघिन को सड़क मार्ग के जरिए बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ले जाया गया। पूरी यात्रा के दौरान वन विभाग और वन्यजीव चिकित्सकों की टीम लगातार उसकी निगरानी करती रही। अधिकारियों के अनुसार बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है और नए आवास में उसे धीरे धीरे अनुकूलित किया जाएगा।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रांसलोकेशन का उद्देश्य बाघों की आबादी में संतुलन बनाना और आनुवांशिक विविधता को मजबूत करना है। पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अच्छी है जबकि रामगढ़ विषधारी क्षेत्र में बाघों की आबादी को बढ़ाने की जरूरत थी।

राजस्थान के लिए यह अभियान खास माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले बाघ पुनर्वास के प्रयास सफल नहीं हो पाए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की योजना वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई है और लंबे समय तक इसकी निगरानी की जाएगी।

इस पूरे ऑपरेशन में मध्य प्रदेश और राजस्थान के वन विभाग के साथ भारतीय वायुसेना की अहम भूमिका रही। यह अभियान भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है।