भोपाल, 12 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Madhya Pradesh) का प्रचार चरम पर है। मतदान के लिए एक सप्ताह से भी कम का समय बचा है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस (BJP Congress)अपनी जीत के दावे कर रहे हैं मगर उन्हें हार की आशंका भी सता रही है। राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं और इस बार मुकाबला बराबरी का नजर आ रहा है। दोनों ही राजनीतिक दलों को वर्ष 2018 के चुनाव के नतीजे बार-बार याद आ रहे हैं। इसकी वजह भी है क्योंकि उस चुनाव में दोनों ही राजनीतिक दलों को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस को जहां 114 तो वहीं भाजपा को 109 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। सरकार कांग्रेस ने बनाई मगर दल बदल के चलते सत्ता खिसक कर भाजपा के हाथ में पहुंच गई।
दोनों ही राजनीतिक दल इस बात का भरोसा लेकर चल रहे हैं कि सत्ता उनके हाथ में आने वाली है मगर बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी की सक्रियता ने दोनों ही दलों को सशंकित भी कर दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंबल-ग्वालियर, विंध्य और बुंदेलखंड में बसपा व सपा बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है। ऐसा होने पर कहीं कांग्रेस तो कहीं भाजपा को नुकसान तय है, इसके अलावा आम आदमी पार्टी भी जोर लगा रही है जो नतीजे को प्रभावित कर सकती है।
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपने स्तर पर सर्वे कराए हैं और यह सर्वे इस बात का संकेत दे रहे हैं कि पूर्ण बहुमत की सरकार किसी भी राजनीतिक दल की नहीं बन सकती और इसी के बाद से दोनों ही दलों को हार की आशंका सताने लगी है।
इसी का नतीजा है कि दोनों राजनीतिक दल प्रचार में पूरी ताकत झोंके हुए हैं और हर मतदाता को लुभाने वह तरह-तरह के दाव चल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव अब तक कांटे की टक्कर वाले नजर आ रहे हैं। किसी भी दल के पक्ष में और विरोध में हवा नहीं है और मतदाता मौन है। ऐसा होने पर राजनीतिक दल जीत का दावा तो कर रहे हैं मगर उन्हें हार की भी आशंका सता रही है। दोनों दल सशंकित हैं और वे जीत के प्रति पूरी तरह आशांवित नहीं है।