भोपाल: मध्यप्रदेश कांग्रेस (MP Congress) में शनिवार को जारी 71 जिला अध्यक्षों की नई सूची के बाद अंदरूनी संकट गहरा गया है। संगठन में बदलाव की कोशिश अब बड़े विरोध और इस्तीफों में बदल गई है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन और बुरहानपुर समेत कई जिलों से गुस्से की खबरें आ रही हैं।
पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के समर्थकों ने राघोगढ़ में देर रात विरोध प्रदर्शन किया। जयवर्धन सिंह को गुना जिला अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन उनके समर्थक इसे राजनीतिक तौर पर उनका पक्षपात मान रहे हैं। उन्होंने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष जितु पटवारी की प्रतिमा जलाकर नाराजगी जताई।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय मल्लिकार्जुन खड़गे जी के मार्गदर्शन एवं नेता प्रतिपक्ष, जननायक श्री राहुल गांधी जी की मंशानुरूप मध्यप्रदेश में संगठन सृजन अभियान के तहत जिला अध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया संपन्न हुई।
यह सम्पूर्ण प्रक्रिया गहन विचार-विमर्श,… pic.twitter.com/U6y2kXUB2L
— MP Congress (@INCMP) August 16, 2025
भोपाल में प्रवीण सक्सेना के फिर से जिला अध्यक्ष बनने पर पूर्व अध्यक्ष मोनू सक्सेना ने सोशल मीडिया पर नेतृत्व की आलोचना की। इंदौर में नए शहर अध्यक्ष चिंतु चौकसे और जिला अध्यक्ष विपिन वांखेड़े का विरोध हो रहा है। पूर्व महिला विंग प्रमुख साक्षी शुक्ला दगा ने भी असंतोष जताया है।
उज्जैन ग्रामीण में महेश परमार की नियुक्ति और सतना में सिद्धार्थ कुशवाहा के प्रति असंतोष देखने को मिला है। बुरहानपुर में वरिष्ठ नेता अरुण यादव के समर्थकों ने अपनी हिस्सेदारी न मिलने पर बैठक की।
राजीव गांधी पंचायत सेल के जिला प्रवक्ता हेमंत पाटिल ने विरोध स्वरूप इस्तीफा दे दिया है।
कुल 71 पदों में से 21 बार-बार नियुक्त किए गए हैं, जबकि 37 आरक्षित वर्ग के हैं। इस सूची में छह विधायक, आठ पूर्व विधायक और तीन पूर्व मंत्री भी शामिल हैं, जिससे कार्यकर्ताओं को लगा कि जमीनी नेताओं को नजरअंदाज किया गया है।
सूची राहुल गांधी की देखरेख में तैयार की गई है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का प्रभाव भी बना हुआ है। कम से कम 10 उनके समर्थक शामिल हैं। जयवर्धन सिंह, ओमकार सिंह मार्कम, निलय डागा और प्रियव्रत सिंह जैसे नामों के शामिल होने से पार्टी में गुटबाजी और तेज हुई है।मध्यप्रदेश कांग्रेस नई सूची जारी कर संगठन में एकजुटता दिखाना चाहती थी, लेकिन अब उसे अंदरूनी विवादों और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के लिए यह चुनौती है कि वह अपने बिखरे हुए सदस्य और कार्यकर्ताओं को फिर से जोड़े।